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Friday, May 17, 2024

दंगों में पूर्व राष्ट्रपति के ऊपर हिंसा भड़काने के आरोप लगाया गया, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश भूमिका की जांच करने का

ब्राजील. की राजधानी ब्राजीलिया में बीते दिनों दंगे हुए थे, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के समर्थकों ने देश की संसद में घुसकर उत्पात मचाया था। अब उस मामले की जांच में ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति को भी शामिल करने की मंजूरी दे दी है। दरअसल इस मामले में अभियोजक ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि जेयर बोल्सोनारो को भी जांच के घेरे में लिया जाए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अभियोजक पक्ष ने आरोप लगाया कि पूर्व राष्ट्रपति ने 10 जनवरी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें मतदान में धांधली के आरोप लगाए गए थे। हालांकि कुछ घंटे बाद ही जेर बोलसनारो ने यह वीडियो डिलीट कर दिया था।

अभियोजक ने अदालत में कहा कि यह वीडियो नागरिक विद्रोह को भड़काने की ताकत रखता है। आरोप है कि जेयर बोल्सोनारो ने अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया। बता दें कि बीती 8 जनवरी को ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में जेर बोलसनारो के समर्थक ब्राजीली संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे। जहां प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की। दरअसल प्रदर्शनकारी चाहते थे कि ब्राजीली सेना जेयर बोल्सोनारो को फिर से सत्ता में लेकर आए और नए चुने गए वामपंथी राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा को पद से हटाए।

जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ अलोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने और राजधानी में तोड़फोड़ और दंगे के मामले में जांच हो सकती है। उल्लेखनीय है कि ब्राजील की राजधानी में हुए हंगामे के चलते पूर्व जस्टिस मंत्री एंडरसन टोरेस की गिरफ्तारी के आदेश सुप्रीम कोर्ट दे चुका है। आरोप है कि टोरेस ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी में घुसने की इजाजत दी थी।

बता दें कि बीते साल अक्टूबर में ब्राजील में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इन चुनाव में दक्षिणपंथी नेता और पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को अपने विरोधी लूला डी सिल्वा के सामने कड़े मुकाबले में हार झेलनी पड़ी थी। जिसके बाद नवंबर में बोल्सोनारो ने आरोप लगाया कि सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी के चलते उनकी हार हुई क्योंकि इससे अधिकतर इलेक्ट्रिक वोट खारिज हो गए।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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