सुबह 6:45 बजे घना कोहरा था और सर्द हवा कंपकंपी छुड़ा रही थी, तभी टीशर्ट पहने भारत जोड़ाे यात्रा निकाल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिल्ली में दाखिल हुए। उनकी धुंधली काया नजर आते ही बदरपुर बॉर्डर का सियासी तापमान अचानक बढ़ गया। लंबे समय से ठिठुरते और अलसाए खड़े लोगों के जोश, नारों के शोर, ढोल-नगाड़ों की थाप और फूलों की बौछार तले सर्दी जैसे दब सी गई थी। 2800 किमी लंबी सड़कें लांघ चुके राहुल ने भी गर्मजोशी दिखाई। इसके बाद अपनी बात रखी और सूरज निकलने से पहले यात्रा शुरू कर दी। फिर वे आश्रम चौक, हजरत निजामुद्दीन, चिड़ियाघर, प्रगति मैदान, इंडिया गेट, आईटीओ चौक, दिल्ली गेट होते हुए शाम को करीब साढ़े चार बजे लालकिला पहुंच गए। 22 किमी की दूरी तय करने में उन्हें करीब दस घंटे लगे। इस बीच यात्रा चार घंटे रूकी और काफिला छह घंटे तक सड़कों पर रहा।
शिव निर्भय होने का आशीष देते हैं, भाजपा कायम कर रही डर का साम्राज्यलालकिले पर लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अभय मुद्रा में भगवान शिव निर्भय होने का आशीष देते हैं, जबकि भाजपा के लोग डर का साम्राज्य कायम कर रहे हैं। वह नफरत तो नहीं फैला सके, लेकिन यात्रा के दौरान डर हर तरफ दिखा। किसान, युवा, मजदूर, माताएं और बहनें सब डरे हैं। महिलाएं बताती हैं कि उन्हें शाम को घर से निकलते हुए डर लगता है। भाजपा खुद को धर्म मानने वाली पार्टी कहती है। किस धर्म ग्रंथ में लिखा है कि कमजोर को कुचलना व मारना चाहिए।