पंजाब के सीएम भगवंत मान आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। इससे पहले आंदोलनकारी किसानों की मांग स्वीकार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को 14 जून और 17 जून को धान की अलग-अलग बुआई के नए कार्यक्रम का एलान किया। इस तरह अब कुल जोनों की संख्या को चार से घटाकर दो में सीमित कर दिया गया है। हालांकि सीमा पर लगी बाड़ के पार के क्षेत्र को उक्त जोन से बाहर रखा गया है और इस क्षेत्र के किसानों को 10 जून से धान की बुआई करने की अनुमति दी गई है। बुधवार दोपहर पंजाब भवन में आंदोलनकारी किसान नेताओं की मुख्यमंत्री के साथ करीब तीन घंटे तक बैठक चली, जिसमें 13 में से 12 मांगों को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को पूरी तरह आश्वस्त करके भेजा और किसान नेताओं ने अपना आंदोलन समाप्त करने का एलान कर दिया। सीएम मान वीरवार को गृहमंत्री अमित शाह से मिलेंगे और सीमा सुरक्षा के साथ ही किसानों के मुद्दों पर बात करेंगे।
मुख्यमंत्री ने जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए किसानों को तुरंत धान की बुआई करने को कहा ताकि निर्धारित समय के भीतर बुआई का काम पूरा हो सके। पंजाब सरकार ने पूरे राज्य को चार जोन में विभाजित करके धान की बुआई को चरणबद्ध तरीके से करने का निर्णय लिया गया था। तेजी से घटते भूजल को बचाने के लिए जोन-1 में बुआई की तारीख 18 जून, जोन-2 में 22 जून, जोन-3 में 24 जून और जोन-4 में 26 जून तय की गई थी।
मूंग की फसल पर एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए भगवंत मान ने किसान नेताओं को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने पहले ही 7275 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर पूरी फसल की खरीद के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार पहले से ही फसल विविधीकरण के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एमएसपी पर मक्के की खरीद के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए तैयार है।
बासमती के लिए एमएसपी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने बताया कि वह वीरवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर भारत सरकार को बासमती पर तुरंत एमएसपी की घोषणा करने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि हमारे किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पानी की खपत वाले धान से हटकर इस तरह पानी का संरक्षण, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए राज्य का एकमात्र अनमोल प्राकृतिक संसाधन है। उन्होंने एसकेएम के सदस्यों से यह भी कहा कि वह सभी हितधारकों की संतुष्टि और शीघ्र समाधान के लिए बीबीएमबी के विवादास्पद मुद्दे को अमित शाह के साथ भी उठाएंगे।
डीएसआर तकनीक के माध्यम से धान की बुआई के लिए किसानों की प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही किसानों को कम पानी की खपत और लागत प्रभावी तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 1500 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता की घोषणा कर चुकी है। इस उद्देश्य के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 450 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इस बीच, एसकेएम के सभी सदस्यों ने भी डीएसआर तकनीक के माध्यम से धान की खेती को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के निर्णय की सराहना की और मुख्यमंत्री को कृषक समुदाय के कल्याण के लिए इस आउट ऑफ बॉक्स पहल के लिए बधाई दी।
किसान नेताओं और मुख्यमंत्री के बीच बैठक में अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई। वहीं, गेहूं का झाड़ कम होने के चलते 500 रुपये क्विंटल बोनस की मांग और बासमती पर एमएसपी घोषित किए जाने के लिए मुख्यमंत्री वीरवार को नई दिल्ली में अमित शाह से मिलेंगे। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि डिफाल्टर किसानों को कुर्की वारंट नहीं आएंगे और न ही उनकी गिरफ्तारी होगी। जिस पंचायती जमीन पर किसान कब्जा करके लंबे समय से खेती कर रहे हैं, उस संबंधी फैसला लेने के लिए 23 मई को किसान नेताओं और सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक होगी। इसी दौरान सरकार द्वारा गन्ना किसानों को उनके बकाया की अदायगी भी करेगी।