यमुना की सफाई अब मिशन मोड में होगी। इसकी कमान उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने संभाल ली है। शनिवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से गठित उच्चस्तरीय समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए एलजी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि समयसीमा का पालन करें।
उपेक्षा की शिकार योजना को अभी तक लक्ष्य प्राप्त कर लेना चाहिए था। समय सीमा को बढ़ाए बिना निर्णयों पर तेजी से काम करें। अधिकारियों की ओर से किसी भी तरह की कमी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उपराज्यपाल ने अधिकारियों के साथ बैठक में यमुना और शहर में विभिन्न नालों में पानी की गुणवत्ता की स्थिति का जायजा लेने के साथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपीएस) और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (सीईटीपीएस) की स्थिति और कमियों पर ध्यान दिया। पिछले काम का जायजा लेने के बाद भविष्य की ठोस कार्ययोजना पर विचार-विमर्श किया गया।बैठक में भारत सरकार और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें मुख्य सचिव, विशेष सचिव, जल शक्ति मंत्रालय, महानिदेशक (एनएमससीजी), विदेश विभाग के अतिरिक्त सचिव, डीपीसीसी अध्यक्ष, एमसीडी आयुक्त, दिल्ली जलबोर्ड के सीईओ समेत कई अधिकारी शामिल हुए।
पुनर्जीवित किए जा रहे वजीराबाद के तालाबों का सांसद ने किया निरीक्षणउत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने यमुना कायाकल्प योजना के तहत मृतप्राय तालाबों को पुनर्जीवित करने के काम का निरीक्षण किया। दिल्ली जलबोर्ड करीब 35 करोड़ की लागत से इन्हें विकसित कर रहा है। जहांगीरपुरी ड्रेन के गंदे पानी को एसटीपी से शोधित कर यहां बनाए गए 11 तालाबों को भरा जाएगा। इनके किनारे हरियाली विकसित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के बाद उच्चस्तरीय समिति का गठनसुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों के बावजूद यमुना की सफाई नहीं होने के बाद 9 जनवरी को एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था। यमुना की सफाई के संबंध में गठित कमेटी का नेतृत्व दिल्ली के उपराज्यपाल कर रहे हैं।