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Sunday, June 1, 2025

संजय निषाद और दारोगा की भिड़ंत: सड़क पर सियासत, अल्टीमेटम और एक्शन

सोनभद्र, 26 अप्रैल 2025, शनिवार। योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की एक पुरानी टिप्पणी ने हाल ही में सुर्खियां बटोरी थी, जब उन्होंने दावा किया था कि कई दारोगाओं के “हाथ-पैर तुड़वाने” के बाद वे इस मुकाम तक पहुंचे हैं। लेकिन शुक्रवार को सोनभद्र में उनकी यह बात उस वक्त हकीकत के करीब दिखी, जब उनकी रैली के दौरान एक दारोगा से उनकी तीखी झड़प हो गई। यह घटना न सिर्फ सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई, बल्कि पुलिस महकमे में भी हड़कंप मचा दिया।

सोनभद्र में सड़क पर सियासत

संजय निषाद इन दिनों अपनी “संवैधानिक अधिकार न्याय यात्रा” के तहत पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। शुक्रवार को उनकी रैली सोनभद्र के बढ़ौली चौक पर पहुंची थी। सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ डीजे वाहन और साइकिलों पर सवार निषाद पार्टी के समर्थक जोश में थे। लेकिन तभी यातायात प्रभारी दारोगा अविनाश सिंह ने डीजे वाहन को सड़क किनारे करने का निर्देश दिया, जिसे कार्यकर्ताओं ने ठुकरा दिया। बस, यहीं से मामला गरमा गया।

खुद संजय निषाद बाइक पर रैली में शामिल होने पहुंचे और दारोगा से उलझ पड़े। उन्होंने दारोगा को जमकर खरी-खोटी सुनाई और यहां तक कह डाला, “तुम जैसे अधिकारियों की वजह से ही भाजपा हार रही है।” निषाद का गुस्सा यहीं नहीं थमा। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को फोन कर दारोगा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की और चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आएंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इसकी शिकायत करने की बात कही।

अल्टीमेटम का असर: दारोगा लाइन हाजिर

संजय निषाद के तल्ख तेवर और अल्टीमेटम का असर तुरंत दिखा। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक को सौंपी, और कुछ ही घंटों में दारोगा अविनाश सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया। यह कार्रवाई निषाद के रसूख और उनकी सियासी ताकत को साफ दिखाती है।

संजय निषाद का दर्द: प्रोटोकॉल का अभाव

घटना के बाद संजय निषाद ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उन्होंने कहा, “हम योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, भाजपा के सहयोगी हैं, फिर भी हमें न प्रोटोकॉल मिला, न गार्ड ऑफ ऑनर। न तो कोई एसडीएम आया, न सीओ। हमारी यात्रा 75 जिलों में निकली, रूट कार्ड और नोटिस पहले से दिए गए थे।”

उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी गरीबों की आवाज है। रैली में ज्यादातर कार्यकर्ता साइकिलों पर थे और कुछ पल के लिए रुके थे ताकि छांव में पानी पी सकें। लेकिन दारोगा ने उनके डीजे वाहन के साथ दुर्व्यवहार किया और चालान की धमकी दी। निषाद ने दारोगा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जब 75 जिलों में रैली हो चुकी, तो तुम यहां कैसे रोक लोगे?”

दारोगा का पक्ष: जाम का हवाला

वहीं, दारोगा अविनाश सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि सड़क पर खड़े डीजे वाहन की वजह से जाम लग गया था। कई स्कूल बसें भी फंस गई थीं, इसलिए उन्होंने वाहन को किनारे करने को कहा था। लेकिन इस छोटी सी बात ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया।

सियासत और सत्ता का खेल

यह घटना सिर्फ एक दारोगा और मंत्री की झड़प नहीं, बल्कि सत्ता, रसूख और सियासत का एक नमूना है। संजय निषाद का दावा और उनका तेवर दिखाता है कि वे न सिर्फ अपनी पार्टी के लिए, बल्कि अपने समुदाय के हक के लिए कितने मुखर हैं। वहीं, दारोगा का तुरंत लाइन हाजिर होना यह भी जाहिर करता है कि सियासी दबाव के सामने प्रशासन को कितनी जल्दी झुकना पड़ता है।

क्या यह घटना सिर्फ एक संयोग थी, या सियासत का कोई बड़ा खेल? यह सवाल अब सोनभद्र की सड़कों से लेकर लखनऊ के गलियारों तक गूंज रहा है।

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