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Saturday, May 4, 2024

चिराग पासवान ने समर्थकों से लम्‍बी लड़ाई के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा – पार्टी से निलम्बित लोग हमसे हमारी लोजपा नहीं छीन सकते

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चाचा पशुपति कुमार पारस की बगावत के बाद सियासी संकट में फंसे चिराग पासवान का दर्द मंगलवार को एक फिर छलका। अपने ट्वीटर हैंडल पर चार पन्‍ने की चिट्ठी पोस्‍ट करते हुए चिराग ने पार्टी में बगावत की पृष्‍ठभूमि से लेकर आगे के संघर्ष तक का विस्‍तार से उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि उनके पिता ने कभी अपने-पराए का भेद नहीं किया लेकिन उनके जाने के बाद चाचा (पशुपति कुमार पारस) और भाई (प्रिंस राज) ने पीठ में छुरा घोंप दिया। उन्‍होंने कहा कि वह शेर के बेटे हैं इसलिए किसी भी परिस्थिति में डरते हैं न घबराते हैं। हां परिवार के टूटने का दु:ख जरूर है। उन्‍होंने अपने समर्थकों से लम्‍बी राजनीतिक और सैद्धांतिक लड़ाई के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा कि पार्टी से निलम्बित मुट्ठी भर लोग हमसे हमारी लोजपा नहीं छीन सकते। 

अपनी चिट्ठी में उन्‍होंने एक तरह से भाजपा को याद दिलाया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम घोषित किए जाने के बाद भी लोजपा ने उनसे हाथ मिलाया था। जबकि उस दौरान उनके पुराने साथी नीतीश कुमार ने उन्हें छोड़ दिया था। उन्‍होंने कहा कि मेरे ही परिवार के सदस्यों ने मुझे छोड़ दिया तो मैं किसी को कैसे दोष दूं?  मेरे चाचा (पशुपति कुमार पारस), मेरे भाई (प्रिंस राज) ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा है। 

जदयू ने हमेशा दलित नेतृत्‍व को बांटा
चिराग पासवान ने लोजपा की टूट के लिए जदयू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने हमेशा से ही दलित नेतृत्व को बांटने का काम किया है। वो अभी तक मेरे पिता के पीछे थे और अब मेरे खिलाफ हैं। उन्‍होंने दलितों और महादलितों को बांटा है। इससे अनुसूचित जातियों में एक उप-विभाजन हुआ। नीतीश कुमार दलित समाज को मजबूत होते नहीं देखना चाहते हैं। 

बिहार में हर कोई चाहता है नीतीश का विकल्‍प 
चिराग पासवान ने कहा कि पिछले चुनाव में बिहार में हर कोई नीतीश कुमार का विकल्‍प चाहता था। जिस तरह से अकेले चुनाव लड़ने से हमें समर्थन मिला है, उससे हम खुश हैं। चुनाव में हम 135 सीटों पर लड़े और हमें 6 फीसदी वोट मिला। लोजपा को गठबंधन में सिर्फ 15 सीटों की पेशकश की गई थी। यदि हम इसके लिए राजी हो जाते तो अगले चुनाव के समय तक लोजपा के पास एक ही रास्ता बचता कि वह किसी क्षेत्रीय या राष्ट्रीय पार्टी में विलय कर ले। इसके साथ यह बात भी थी कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ आगे नहीं बढ़ सकते जो आपकी विचारधारा का सम्मान नहीं करता है। नीतीश कुमार सिर्फ अपना एजेंडा आगे रखना चाहते हैं। किसी अन्‍य सहयोगी को जगह नहीं देते। 

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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