चीन में कोरोना संक्रमण से हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं लेकिन चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं है कि उसके देश में कोविड संक्रमितों और मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उसका कहना है कि वह सिर्फ निमोनिया व श्वसन विफलता पर ही कोविड की मौत को मानता है।
उधर, श्मशान घाटों पर मृतकों की कतार बृहस्पतिवार को भी देखी गई। ब्लूमबर्ग अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करने के लिए कोरोना संक्रमितों को भी निर्देश दिया है कि वे जल्द काम पर लौटें। जबकि दवा कंपनियां भी दिन-रात ओवरटाइम काम करने को मजबूर हैं।
चीन के बीजिंग, गुआंगझोऊ, शेनझेंग और शंघाई जैसे शहरों में हालात काफी खराब हैं। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, चीन में महामारी के बढ़ते दबाव को देखते हुए लोगों को बताया जा रहा है कि यह मौसमी फ्लू जैसा है और नया ओमिक्रॉन स्वरूप बहुत खतरनाक नहीं है। महामारी वैज्ञानिक झोंग नानशान ने यहां तक कहा कि ओमिक्रॉन वायरस साधारण सर्दी-जुकाम से ज्यादा कुछ भी नहीं है इसलिेए घबराएं नहीं। जबकि शून्य-कोविड नीति में ढील देने के बाद अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने लगे हैं और मुर्दाघरों में हालात विकट हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, शून्य-कोविड नीति में ढील देना चीन की मजबूरी थी क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।