यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका की तरह ब्रिटेन सरकार ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में सोमवार को चीन सरकार के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया। चीन ने जरा भी देरी न करते हुए इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में यूरोपीय संघ के राजदूत निकोलस शपूई को तलब कर विरोध दर्ज कराया है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि उप विदेश मंत्री किन गैंग ने शपूई को यह स्पष्ट कर दिया है कि ईयू को अपनी गलती की गंभीरता समझनी चाहिए और भविष्य में चीन के साथ संबंध खराब न हो इसके लिए उसे यह गलती तुरंत सुधार लेनी चाहिए।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने घोषणा की थी कि उनका देश पहली बार चीन के चार सरकारी अधिकारियों और शिनजियांग के एक सुरक्षा निकाय पर यात्रा एवं वित्तीय प्रतिबंध लगाएगा। राब ने कहा, ‘हम अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ समन्वय करते हुए मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।’
इससे पहले सोमवार देर रात बीजिंग ने भी ईयू के 10 सांसदों और 4 निकायों प्रतिबंध की घोषणा की। चीन ने कहा कि इन सांसदों ने भ्रामक और झूठी जानकारियां फैलाई हैं जिससे चीन की संप्रभुता को नुकसान पहुंचा है।
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘मानवाधिकारों के मुद्दे पर ईयू को दूसरों को भाषण देने से बचना चाहिए और न ही किसी के अंदरूनी मामलों में घुसना चाहिए। उसे इस दोयम दर्जे के पाखंड को खत्म कर के गलत रास्ते पर जाने से बचना चाहिए वरना चीन भी पूरी तरह से प्रतिक्रिया देगा।’
बता दें कि कई पश्चिमी यूरोपीय देशों ने चीन के अधिकारियों पर उइगुर मुसलमानों के मानवाधिकार उत्पीड़न को लेकर प्रतिबंधों की घोषणा की है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साझा प्रयास के बाद इन प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। इसके जवाब में चीन ने भी प्रतिबंध लगाए हैं और साथ में कड़ी प्रतिक्रिया भी दी है।