टी. जी. सीथाराम ने साझा की चिनाब ब्रिज की प्रेरक यात्रा
नई दिल्ली, 13 जून 2025: जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाला चिनाब ब्रिज, जो विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल है, न केवल इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और गौरव का प्रतीक भी बन गया है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के अध्यक्ष प्रोफेसर टी. जी. सीथाराम, जो इस परियोजना के प्रारंभ से जुड़े रहे, ने इसे “विश्व का नया अजूबा” करार देते हुए कहा कि यह पुल न केवल जम्मू और कश्मीर को हर मौसम में जोड़ता है, बल्कि लोगों के दिलों को भी एक सूत्र में पिरोता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में निर्मित इस ऐतिहासिक पुल को प्रो. सीथाराम ने भारतीय इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और श्रमिकों के समर्पण का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल एक ढांचा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना और आत्मविश्वास की जीवंत मिसाल है। इस सपने को साकार करने में हजारों इंजीनियरों और श्रमिकों की मेहनत और लगन शामिल है।”
चिनाब की चुनौतियों पर विजय
चिनाब नदी के ऊपर 359 मीटर की ऊंचाई पर बना यह पुल अपनी निर्माण प्रक्रिया में ही एक प्रेरक कहानी रच चुका है। प्रो. सीथाराम ने 2005 में अपनी पहली यात्रा को याद करते हुए बताया, “जब मैंने चिनाब घाटी में कदम रखा, तो वहां की भौगोलिक जटिलताओं ने हमें चुनौती दी। अस्थिर जमीन, कठिन मौसम और ऊंची अपेक्षाएं थीं, लेकिन हमारा लक्ष्य स्पष्ट था—हम एक राष्ट्रीय गौरव का निर्माण कर रहे थे।”
उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की टीम के साथ अपनाए गए नवाचारों पर प्रकाश डाला। रीयल-टाइम फील्ड डेटा, एडवांस सिमुलेशन और समावेशी तकनीकों के उपयोग ने भौगोलिक अस्थिरता और दुर्गम इलाकों की चुनौतियों को पार करने में मदद की। प्रो. सीथाराम ने कहा, “हर कील, हर नींव और हर सपोर्ट विश्वास का प्रतीक था। यह पुल विज्ञान, समर्पण और राष्ट्रीय प्रेम का संगम है।”
युवा भारत के लिए प्रेरणा
चिनाब ब्रिज को “विज्ञान, आत्मा और राष्ट्रीय चेतना की यात्रा” बताते हुए प्रो. सीथाराम ने जोर दिया कि यह उपलब्धि युवा भारत के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा, “अगर हम चिनाब जैसी दुर्गम नदी पर इतना भव्य पुल बना सकते हैं, तो युवा भारत किसी भी ऊंचाई को छू सकता है। यह ब्रिज इंजीनियरिंग की प्रयोगशालाओं से निकलकर वास्तविकता में बदला है, जो यह साबित करता है कि असंभव को संभव बनाने की ताकत हमारे पास है।”
चिनाब ब्रिज न केवल जम्मू-कश्मीर को जोड़ने का माध्यम है, बल्कि यह भारतीय इंजीनियरिंग की क्षमता और देश के एकजुट संकल्प का प्रतीक बन चुका है। प्रो. सीथाराम की मानें, तो यह पुल भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा कि समर्पण और विज्ञान के बल पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।