25.1 C
Delhi
Saturday, March 15, 2025

केंद्रीय भूजल आयोग:   रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली हर साल औसतन 0.2 मीटर भूजल खो रही है।

हम सबके कदमों तले संकट गहराता जा रहा है, लेकिन हम बेफिक्र हैं। वजह साफ होने के बावजूद ख्याल उनको भी नहीं, जिन पर इसे बचाने की जिम्मेदारी है। नतीजन जमीन के अंदर का पानी हर दिन 0.05 सेमी की दर से नीचे जा रहा है। जमीन की नमी खत्म होने से पीने का पानी पहुंच से दूर होगा। हम चाहे जितने बीज बिखेर दें, उसकी देखभाल कर लें, नन्हा अंकुर कभी जमीन से बाहर नहीं आएगा। भूजल संकट से खाने पर भी संकट होगा और पीने के पानी पर भी।

केंद्रीय भूजल आयोग (सीजीडब्ल्यूबी) की नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली हर साल औसतन 0.2 मीटर भूजल खो रही है। इस लिहाज से हर दिन दिल्ली की जमीन के नीचे का पानी 0.05 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि यहां के करीब 80 फीसदी स्त्रोत क्रिटिकल या सेमी क्रिटिकल स्थिति में आ चुके हैं। मतलब, इन इलाकों में भूजल का दोहन गंभीर स्तर तक किया जा रहा है। उधर, इंडिया डाटा पोर्टल की एक रिपोर्ट के हिसाब से देश में बीते 16 साल में सेमी क्रिटिकल जोन में करीब 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है। साल 2004 से 2020 के बीच इनकी संख्या 550 से बढ़कर 1057 तक पहुंच गई है। वहीं, इसी अवधि में सुरक्षित जलस्त्रोत की संख्या में केवल 10 फीसदी ही बढ़ी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली का 89 फीसदी हिस्सा कछारी है। भूजल का ज्यादा दोहन नलकूपों के माध्यम से किया जा रहा है। देश में जिन चार राज्यों में सबसे अधिक भूजल का दोहन हो रहा है, उसमें दिल्ली भी शामिल है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शशांक बताते हैं कि भूजल स्तर दिल्ली के लगभग हर स्थान पर दो से चार मीटर तक गिरा है, लेकिन कुछ हिस्से यमुना बाढ़ के मैदान, मध्य दिल्ली, नजफगढ़ के पास दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में वृद्धि भी हुई है। जेएनयू और संजय वन जैसे क्षेत्रों की बात करें तो यहां अच्छा भूजल पुनर्भरण हुआ, लेकिन इसके ठीक बगल में हौज खास और ग्रेटर कैलाश ने क्षमता से ज्यादा भूजल का दोहन किया है।

रिपोर्ट बताती है कि साल 2020 में दिल्ली के 11 जिलों में 34 जगहों के सैंपल की जब जांच हुई तो उसमें 50 फीसदी यानी 17 यूनिट अति शोषित पाई गई। सात यूनिट (20.59%)  क्रिटिकल और अन्य सात यूनिट सेमी क्रिटिकल पाई गई। केवल तीन यूनिट यानी 8.82% ही सुरक्षित पाई गई है। दूसरी तरफ राज्य के 1487.61 वर्ग किमी पुनर्भरण योग्य क्षेत्र में से 769.58 वर्ग किमी (51.73%) अति-शोषित पाया गया। 348.81 वर्ग किमी (23.45%) क्रिटिकल, 222.06 वर्ग किमी (14.93%) सेमी क्रिटिकल मिला। जबकि 147.16 वर्ग किमी (9.89%) ही सुरक्षित माना गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि नम भूमियां भूजल का रिचार्ज सेंटर होती हैं। पर्यावरणविद फैयाज खुदसर बताते हैं कि भूजल और नम भूमियों में गहरा और सीधा रिश्ता है। अगर नम भूमियां जीवित होंगी तो भूजल के स्तर पर संकट नहीं आएगा। इसका उलटा होने पर भूजल नहीं बचेगा। दिल्ली फिलहाल दूसरे विकल्प की तरफ बढ़ रही है। इसका नतीजा भूजल का स्तर गिरते जाने के तौर पर आया है।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »