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Friday, May 3, 2024

भाजपा और सपा के लिए बड़ी चुनौती बना बाउंसर ट्वीट, मायावती के इस बाउंसर ने बदली सियासी हवा

उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर विधानसभा सीट पर महज सात दिन बाद नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। इसी दौरान बहुजन समाज पार्टी की मायावती ने ट्वीट का ऐसा “बाउंसर” मारा है जो सियासी गलियारों में मायावती का “सेफ साइड” कहा जाने लगा है। मायावती के इस इशारे के बाद से समाजवादी पार्टी के लिए दोनों सीटों पर कड़ी चुनावी परीक्षा की बात कही जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है मायावती उपचुनावों में मैदान में आए या ना आए लेकिन हार जीत की चुनावी पिच बसपा की वजह से ही तय होगी।

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से मैनपुरी सीट पर चुनाव पांच दिसंबर को तय हुआ है। जबकि रामपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे आजम खान की सदस्यता जाने से इस विधानसभा सीट पर भी पांच दिसंबर को ही चुनाव तय हुआ है। राजनैतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि इन दोनों सीटों पर बहुजन समाज पार्टी की भूमिका क्या होने वाली है।

खास तौर से तब जब मायावती ने सोमवार को ट्वीट करके उपचुनावों में अपनी पार्टी के ना उतरने का जिक्र किया और एक ऐसा ट्वीट का बाउंसर भी मारा जिसके तमाम तरह के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि ऐसा नहीं है उपचुनावों के परिणामों का मतलब नहीं होता है। वह कहते हैं कि चुनावों से नैरेटिव सेट तो होता ही है। खासतौर से तब जब दूसरे राज्यों में या उसी राज्य में चुनाव हो या चुनाव आने वाले हो। वो कहते हैं कि मायावती का चुनाव ना लड़ना उनको तो एक तरह से त्वरित सेफ साइड में तो पहुंचा देता है। जबकि साथ ही दूसरे राजनीतिक दलों को चुनौतियां देना शुरू कर देता है। क्योंकि मायावती का अपना एक वोट बैंक है और उस वोट बैंक में सेंधमारी ही दूसरे राजनीतिक दलों के लिए चुनौती होती है।

दरअसल मायावती ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि जब गोला गोकर्णनाथ के उप चुनाव में समाजवादी पार्टी भारी मतों से हार गई तो देखना यह होगा कि क्या अब सपा मैनपुरी और रामपुर की सीट बचा पाती है या नहीं। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि मायावती ने अपने ट्वीट के माध्यम से इशारा कर दिया कि संभव है की वह इन दोनों सीटों पर मैदान में ही न उतरे। सिंह कहते हैं कि हालांकि मायावती ने आजमगढ़ लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा था और उसी वजह से समाजवादी पार्टी की गणित गड़बड़ाई तो भाजपा ने जीत का परचम लहरा दिया। अगर मायावती मैनपुरी में अपना प्रत्याशी नहीं उतारती हैं तो सबसे ज्यादा चुनौती मायावती के वोट बैंक को हासिल करने की होगी। क्योंकि मायावती का वोट बैंक बसपा के चुनाव ना लड़ने से या तो समाजवादी पार्टी की और शिफ्ट होगा या भारतीय जनता पार्टी की ओर। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीते चुनावों पर अगर नजर डालें तो यही पता चलता है कि बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी में शिफ्ट हो रहा है। ऐसे में अगर बहुजन समाज पार्टी दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती है निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी।

राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े थे। वह कहते हैं हैरानी की बात तो यह रही कि सपा और बसपा के गठबंधन के बाद भी मुलायम सिंह यादव की जीत का अंतर 2014 की तुलना में 2019 में बहुत कम रह गया था। यही वजह रही कि चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूट गया और आरोप लगे कि बसपा का वोट बैंक समाजवादी पार्टी में शिफ्ट नहीं हुआ था।

राजनीतिक विश्लेषक एसके तोमर कहते हैं कि मैनपुरी में दलित, पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या चुनावी लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इन वोटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की दावेदारी है। हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी ने भी इसी वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी शुरू की है। तोमर कहते हैं ऐसे में अगर बहुजन समाज पार्टी मैनपुरी से चुनाव नहीं लड़ती है तो इसी वोट बैंक के सबसे ज्यादा शिफ्ट होने से ही चुनावी परिणाम तय होंगे। वह कहते हैं जब सपा बसपा गठबंधन में यह वोट बैंक समाजवादी पार्टी के साथ नहीं गया था तो इस बार यह कहना तो और भी मुश्किल होगा कि बगैर बसपा के क्या यह वोट समाजवादी पार्टी में शिफ्ट हो पाएगा। तोमर कहते हैं कि वहीं बसपा की गैरमौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में अगर इस वोट बैंक की शिफ्टिंग होती है तो मैनपुरी लोकसभा चुनाव ना सिर्फ समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती भरा होगा बल्कि समाजवादी पार्टी की सबसे मजबूत मानी जाने वाली सीट भी हाथ से खिसक सकती है।

हालांकि बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मैनपुरी और रामपुर के उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी चुनाव लड़ेगी या नहीं लड़ेगी इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है बसपा से जुड़े एक पूर्व नेता कहते हैं कि मायावती के ट्वीट से इस बात का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि मैनपुरी और रामपुर जैसी महत्वपूर्ण उप चुनावों में बसपा दांव नहीं आजमाएगी। कहना है कि बसपा की कमेटी की इन चुनावों को लेकर बैठकों का दौर जारी है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है जिस तरीके से मायावती ने मुस्लिम वोट बैंक में अपनी सेंधमारी करनी शुरू की है उस लिहाज से रामपुर और मैनपुरी में भी वह चुनावी समर में जा सकती हैं।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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