वाराणसी, 13 जून 2025: बीएचयू में स्थित आईएमएस ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी विभाग और कैंटीन कर्मचारी के बीच हुए विवाद ने अब एक नया और गंभीर मोड़ ले लिया है। सर्जरी विभाग के रेजिडेंट डॉक्टरों को ट्रॉमा सेंटर से हटाने के फैसले ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि मरीजों के इलाज पर भी गहरे संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
कुलसचिव का सख्त रुख, निदेशक को पत्र
कुलसचिव कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन संखवार को पत्र लिखकर रेजिडेंट डॉक्टरों को हटाने के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि रेजिडेंट डॉक्टरों की अनुपस्थिति से ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। सड़क दुर्घटना और अन्य आपातकालीन मामलों में घायल मरीजों की सर्जरी और त्वरित चिकित्सा सेवाओं के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की भूमिका अहम रही है। ऐसे में, उनकी अनुपस्थिति मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है और बीएचयू की एम्स जैसी प्रतिष्ठित छवि को भी ठेस पहुंच सकती है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले महीने 26 मई को सर्जरी विभाग और ट्रॉमा सेंटर के कर्मचारियों के बीच हुए दुर्व्यवहार के बाद सर्जरी विभाग ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 11 रेजिडेंट डॉक्टरों को ट्रॉमा सेंटर से हटा लिया था। नतीजतन, ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी और अन्य आपातकालीन सेवाएं अब केवल दो कंसल्टेंट्स के भरोसे चल रही हैं। इस कमी ने ट्रॉमा सेंटर की 24×7 आपातकालीन सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कुलसचिव का तर्क: मरीजों की जान से खिलवाड़ नहीं!
11 जून को डिप्टी रजिस्ट्रार (एडमिन टीचिंग) द्वारा लिखे गए पत्र में जोर देकर कहा गया है कि ट्रॉमा सेंटर गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक सेवाएं प्रदान करता है। रेजिडेंट डॉक्टरों को हटाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह मरीजों के समय पर इलाज को प्रभावित कर सकता है, जिससे गंभीर जटिलताएं या मृत्यु तक हो सकती है। पत्र में मांग की गई है कि हटाए गए सभी सीनियर और जूनियर रेजिडेंट्स को तत्काल ट्रॉमा सेंटर में फिर से तैनात किया जाए, ताकि चिकित्सा सेवाओं में कोई रुकावट न आए।
जांच कमेटी गठित, लेकिन मरीजों का क्या?
विवाद की जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। हालांकि, कुलसचिव कार्यालय ने साफ कहा है कि जांच के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। ट्रॉमा सेंटर की आपातकालीन सेवाएं बीएचयू की स्वास्थ्य प्रणाली का आधार हैं, और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है।
निदेशक का दावा: कोई परेशानी नहीं होगी
आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने दावा किया है कि मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जरूरत के हिसाब से रेजिडेंट डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी और ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीजों का इलाज प्राथमिकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या दो कंसल्टेंट्स के दम पर ट्रॉमा सेंटर की आपातकालीन जरूरतें पूरी हो पाएंगी?
मरीजों की जान दांव पर, तुरंत समाधान जरूरी
बीएचयू का ट्रॉमा सेंटर न केवल वाराणसी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी आपातकालीन चिकित्सा का प्रमुख केंद्र है। रेजिडेंट डॉक्टरों की वापसी और सेवाओं को सुचारु करने की मांग अब जोर पकड़ रही है। क्या प्रशासन इस संकट का समय पर समाधान कर पाएगा, या मरीजों को भुगतना पड़ेगा इस विवाद की कीमत? यह सवाल हर किसी के मन में है।