नई दिल्ली, 2 मई 2025, शुक्रवार। पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा बांध के पानी को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। केंद्रीय गृह मंत्रालय में डेढ़ घंटे तक चली हाई-वोल्टेज बैठक के बावजूद दोनों राज्यों के बीच सहमति का कोई रास्ता नहीं निकल सका। पंजाब जहां 4,000 क्यूसेक पानी देने पर अड़ा है, वहीं हरियाणा 8,500 क्यूसेक की मांग को लेकर डटा हुआ है। अब मामला इतना उलझ गया है कि हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऐलान कर दिया है।
बैठक में नहीं बनी बात
गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दोनों राज्यों ने अपने-अपने तर्क रखे। पंजाब के प्रतिनिधि एसीएस आलोक शेखर ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की मंशा जाहिर करते हुए साफ किया कि वे केवल 4,000 क्यूसेक पानी ही दे सकते हैं। दूसरी ओर, हरियाणा ने अपनी बढ़ती जल जरूरतों का हवाला देते हुए दबाव बनाए रखा। गृह सचिव ने दोनों पक्षों से जिद छोड़कर बीच का रास्ता निकालने की अपील की, लेकिन बात नहीं बनी। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने नंगल डैम के आसपास पुलिस तैनाती को लेकर भी सख्त रुख अपनाया है।
गृह सचिव ने सुझाव दिया कि अगर हरियाणा की मांग जायज है, तो उसे पंजाब से पानी उधार लेना चाहिए, जिसे बाद में पंजाब की जरूरत पर लौटाया जा सकता है। इसके अलावा, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) को हरियाणा की जरूरतों के लिए अगले 8 दिनों तक 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश लागू करने को कहा गया। बीबीएमबी जल्द ही इस पर बोर्ड बैठक बुलाएगा।
हरियाणा की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
बैठक से कोई ठोस नतीजा न निकलने पर हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने साफ कर दिया कि राज्य अपने जल अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगा। उन्होंने कहा, “हम आज ही याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। छुट्टियां नजदीक हैं, इसलिए हम जल्द फैसला चाहते हैं।” हरियाणा का दावा है कि उसे खेती और पीने के पानी की जरूरतों के लिए अतिरिक्त पानी चाहिए, जिसे पंजाब नजरअंदाज कर रहा है।
पंजाब का रुख: पानी हमारी जीवन रेखा
उधर, पंजाब की आप सरकार ने भी इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर अपनी स्थिति मजबूत की। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पंजाब पहले ही 4,000 क्यूसेक पानी दे रहा है। हरियाणा अब और पानी मांग रहा है, जबकि हमारे पास पहले से ही पानी की कमी है। पानी पंजाब की जीवन रेखा है।” उन्होंने साफ किया कि पंजाब किसी भी ऐसे फैसले को लागू नहीं होने देगा, जो उसके हितों को नुकसान पहुंचाए। कुछ दलों ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का सुझाव भी दिया है।
हरियाणा में जल संकट से निपटने की कवायद
हरियाणा में बढ़ते जल संकट को देखते हुए लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा ने सभी जिलों के इंजीनियरों को मुख्यालय न छोड़ने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जहां पानी की कमी है, वहां वैकल्पिक स्रोतों से पानी की व्यवस्था की जाए।
आगे क्या?
सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में एक-दो और बैठकें हो सकती हैं, लेकिन अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो दोनों राज्य सुप्रीम कोर्ट की शरण में होंगे। पंजाब ने बीबीएमबी के फैसले पर कानूनी सलाह भी ली है। यह विवाद अब सिर्फ पानी का मसला नहीं, बल्कि दोनों राज्यों के बीच सियासी और भावनात्मक टकराव का रूप ले चुका है।
क्या सुप्रीम कोर्ट इस गतिरोध को तोड़ पाएगा, या फिर यह विवाद और गहराएगा? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे।