वाराणसी। काशी में त्योहारों की लंबी शृंखला है। तभी तो काशी को सात वार-नौ त्योहार का शहर कहा जाता है। 9 सितंबर सोमवार को सनातन पौराणिक परंपरा के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथि है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की तारकासुर पर विजय की एवं द्वापर युग में श्री हरि कृष्ण के बड़े भाई शेषावतार भगवान बलभद्र (बलदेव जी) के प्राकट्य की तिथि के रूप में मनाया जाता है। शैव मत में स्कन्द छठी तथा ब्रज में बलभद्र छठी के रूप में यह सनातन तिथि उत्सव पूर्वक अनुष्ठान से मनाई जाती है। आज की ही तिथि पर माता ललिता षष्ठी भी मनाई जाती है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा समस्त सनातन पर्वों को समारोह पूर्वक आयोजित किए जाने के पुण्य संकल्प के अनुपालन में आज श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशिष्ट पूजन अनुष्ठान संपन्न किए गए। इस अवसर पर ललिता घाट पर स्थित भगवान स्कन्द के विग्रह पर आराधना संपन्न की गई। साथ ही भगवान शेषनाग की आराधना के द्वारा बलभद्र प्राकट्य उत्सव भी संपन्न किया गया। विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा इस पर्व उत्सव की तिथि को पुनः समारोह पूर्वक मनाते हुए प्राचीन परंपरा एवं सनातन गौरव को पुनर्स्थापित करने का सनातन प्रयास किया गया है।