संभल, 16 दिसंबर 2024, सोमवार। उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल बाद शिवमंदिर को कट्टरपंथियों के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है। मंदिर में पूजा अर्चना भी शुरू हो गई है। अब सभी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम का इंतजार है, जो मंदिर के सर्वे का काम शुरू करेगी। बता दें, ASI की टीम को शिवमंदिर की कार्बन डेटिंग के लिए चिट्ठी मिल चुकी है, और कभी भी टीम की मंदिर में एंट्री हो सकती है। हालांकि, अभी तक यह नहीं बताया गया है कि ASI की टीम आज संभल के शिव मंदिर पहुंचेगी या नहीं।
शिवमंदिर में सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिया गया है, और सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा रही है। ASI की टीम के आने के बाद, मंदिर के सर्वे का काम शुरू हो जाएगा। कार्बन डेटिंग के जरिए पता लगाया जाएगा कि संभल के इस मंदिर में मिला शिवलिंग और मूर्तियां कितनी पुरानी हैं।
संभल के शिव मंदिर में नई शुरुआत: 46 साल बाद हुआ रुद्राभिषेक, मंदिर गूंज रहा है भक्तों की ध्वनि से
संभल के मंदिर में एक नई शुरुआत हुई है। पिछले 46 सालों से सूना रहने वाला यह मंदिर अब भक्तों की ध्वनि से गूंज रहा है। मंदिर के बाहर शिव-हनुमान मंदिर का नाम लिखा जा रहा है, और सामने प्राचीन संभलेश्वर महादेव लिखा गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर ‘ओम नमः शिवाय’ और ‘हर हर महादेव’ के नारे लिखे जा रहे हैं, और स्वास्तिक का निशान भी बनाया गया है। मंदिर का भव्य श्रृंगार हो रहा है, और बजरंग बली की आरती हो रही है। सूर्योदय के साथ ही पूजा पाठ और आरती से मंदिर का इलाका गूंज रहा है। मंदिर का ताला खुलवाने के बाद संभल प्रशासन रविवार को भी मंदिर पहुंचा था। डीएम और एसपी दोनों मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने तिलक लगवाया और प्रशासन की कोशिशों से ही यहां पूजा पाठ की शुरुआत हुई। वर्षों बाद शिवलिंग का रुद्राभिषेक हुआ।
संभल के मंदिर की उम्र का राज खुलेगा! ASI की टीम करेगी कार्बन डेटिंग
संभल के मंदिर में 46 साल बाद जिर्नोद्वार के बाद अब सर्वे का इंतजार है। आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम मंदिर पहुंच सकती है और सर्वे का काम शुरू करेगी। ASI की टीम कार्बन डेटिंग करेगी, जिससे मंदिर में मिले शिवलिंग और मूर्तियों की उम्र का पता चलेगा। कार्बन डेटिंग एक विशेष तकनीक है, जिससे जीवाश्म या पुरातत्व संबंधी चीजों की उम्र का पता चलता है। इस तकनीक से मंदिर में मिले कुएं की उम्र का पता भी चलेगा। कार्बन डेटिंग से 50 हजार साल पुराने अवशेष का पता लगाया जा सकता है, जिससे मंदिर के इतिहास और महत्व को समझने में मदद मिलेगी।