बिहार में राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच एक खबर यह भी आई है कि बिहार में नीतीश कुमार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच बात हुई है। भाजपा और जदयू के बिगड़ते रिश्तों की अटकलों के बीच शाह का नीतीश का फोन करना कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर करीब पांच-छह मिनट बात हुई। इसके बाद से ही यह अटकलें भी लगने लगी हैं कि बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन बना रहेगा।
इससे पहले BJP के कई नेता बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवास पर पहुंचे। इससे पहले पूरे दिन भाजपा-जदयू के बीच दरार की खबरें आती रहीं। राजद व अन्य विपक्षी दलों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ते हैं तो हम उन्हें समर्थन करने को तैयार हैं। इस बीच JDU पटना में मंगलवार की सुबह 11 बजे बैठक करेगी। मंगलवार की सुबह 11 बजे RJD भी अलग अपनी एक बैठक करेगी।
भाजपा के लिए गठबंधन क्यों अहम?
यदि नीतीश कुमार राजद के साथ सरकार बनाने का निर्णय लेते हैं, तो भाजपा की उन कोशिशों को पहला बड़ा झटका लगेगा, जिसमें पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर बेहद गंभीरता के साथ तैयारी में जुट गई थी। बिहार से अकेले 40 लोकसभा सीटें आती हैं। राज्य के मतदाताओं में जातीय आधारों पर इतना बड़ा बिखराव है कि भाजपा को अकेले अपने दम पर बड़ी कामयाबी हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, जदयू, राजद और हम के साथ आने से राज्य में एनडीए को तगड़ा झटका लग सकता है।
सभी के अपने-अपने दावे
भाकपा-माले ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से नाता तोड़ने के लिए उठाए गए हर कदम का पार्टी स्वागत करेगी। विधानसभा में एक दर्जन विधायक वाली पार्टी के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि अगर नीतीश भाजपा से नाता तोड़ते हैं, तो हम उनका साथ देंगे।
- जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार हमारे नेता हैं। उनका सभी सम्मान करते हैं। इसलिए पार्टी में किसी भी तरह की फूट का सवाल ही नहीं है। नीतीश के नेतृत्व में पार्टी जो भी फैसला लेगी, वह सभी को स्वीकार्य होगा।
- राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि मंगलवार को दोनों दलों द्वारा विधायकों की बैठक बुलाना साफ दर्शाता है कि कुछ गड़बड़ तो है। आगे देखते हैं क्या होता है? गर नीतीश राजग को छोड़ने का फैसला लेते हैं तो हमारे पास उन्हें गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है।
इन्होंने कहा सब ठीक है
जनता दल-यूनाइटेड के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के NITI आयोग की बैठक में न जाने और आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद जदयू और भाजपा के बीच खींचतान की अटकलों का खंडन किया। चंद्रा ने कहा कि यह अनुमान लगाना कि जदयू और भाजपा के बीच कुछ चल रहा है, वो भी सिर्फ इसलिए कि सीएम नीतीश कुमार नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए, उचित नहीं है। कई सीएम बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने नियमित रूप से ऐसी बैठकों में भाग लिया है, लेकिन इस बार डिप्टी सीएम को वहां भेजा गया। उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार हर 2-4 महीने में विधायकों और सांसदों के साथ बैठकें कर रहे हैं, पहले कभी सवाल नहीं उठाए गए थे, लेकिन अब सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? बैठक बुलाई गई है और हम सभी इसमें शामिल होंगे।
पहले भी पाला बदल चुके नीतीश
इससे पहले भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार 2014 में NDA छोड़ राजद और कांग्रेस के साथ नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद नीतीश 2017 में महागठबंधन से किनारा कर NDA में लौट आए थे।