अमेरिका और भारत के संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं। दोनों देश कई अहम क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं लेकिन अक्सर अमेरिका सरकार से भारत में मानवाधिकारों के मुद्दे पर सवाल किया जाता है। अब इसे लेकर अमेरिकी सरकार ने तीखा जवाब दिया है और साफ कर दिया है कि वह इसे लेकर चिंतित नहीं हैं और इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे।
हर समाज, देश में कमियां हैं
‘दरअसल अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल से जब भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘हर समाज, जिनमें भारत और अमेरिका भी शामिल हैं, उनके अपनी चुनौतियां और परेशानियां हैं। सभी देश आदर्श नहीं हैं, सभी में कुछ ना कुछ कमियां हैं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता अमेरिका इस स्थिति में है कि हम किसी दूसरे देश को भाषण दे सकें।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत ने अपनाया सैद्धांतिक रुख’
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के स्टैंड पर कर्ट कैंपबेल ने कहा कि हमने देखा है कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर सैद्धांतिक रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के लोगों की त्रासदी और वहां जो हो रहा है उस पर साफ बात की है। भारतीय यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंतित हैं और उनका मानना भी है कि रूस का रुख कई जगह निंदनीय रहा है।
दोनों देशों के रिश्तों के लिए चीन अहम
चीन के मुद्दे पर कैंपबेल ने कहा कि भारत-अमेरिकी संबंधों में चीन का मुद्दा अहम है लेकिन सिर्फ ये ही एकमात्र मुद्दा नहीं है जो हमारे संबंधों को वहां ले जाए, जहां हम जाना चाहते हैं। कई अन्य बातें भी हैं जो हमें आगे लेकर जाएंगी और पीएम मोदी के हालिया दौरे पर भी यह दिखाई दीं थी।