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Friday, May 3, 2024

अदार पूनावाला ने बड़ा बयान दिया , कहा कि वैश्विक स्तर पर निर्यात और आयात के कारण वैक्सीन की कमी होना सामान्य बात है

कोरोना वैक्सीन की कमी पर सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने बुधवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर निर्यात और आयात के कारण वैक्सीन की कमी होना सामान्य बात है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति पहले भी रही है क्योंकि जो देश वैक्सीन खरीदने में सक्षम है उन्हें तो प्राथमिकता दी जाएगी। 

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि चीजें इतनी गलत हो गई हैं। वैश्विक क्षमता को पूरा करने के लिए अरबों टीकों की जरूरत है। दुनिया के सभी वैक्सीन निर्माता सहयोग कर रहे हैं, और कोई रास्ता नहीं है। हम आगे बढ़ रहे हैं, दूसरे भी बढ़ रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि हमने जनवरी से फरवरी के बीच 6 करोड़ डोज का निर्यात किया था जो शायद किसी भी अन्य देश से अधिक था। लेकिन फिर इसके बाद दूसरी लहर ने हम पर प्रहार किया और हमने भारत पर अपना ध्यान फोकस कर दिया क्योंकि तब इसकी आवश्यकता थी। 
कोविशील्ड के लिए एक महीने में ईएमए की मंजूरी मिलने का भरोसा: पूनावाला
टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बुधवार को कहा कि कंपनी को एक महीने में अपने कोविड-19 टीके कोविशील्ड के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) से मंजूरी मिलने का भरोसा है।

पूनावाला ने यह भी कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट का मुद्दा देशों के बीच परस्पर आधार पर होना चाहिए। पूनावाला ने इंडिया ग्लोबल फोरम 2021 में कहा, ‘‘ईएमए का हमें आवेदन करने के लिए कहना बिल्कुल सही है, जो हमने हमारे साझेदार एस्ट्राजेनेका के माध्यम से एक महीने पहले कर दिया गया है और उस प्रक्रिया में अपना समय लगता है।

ब्रिटेन एमएचआरए, डब्ल्यूएचओ के साथ भी अनुमोदन प्रक्रिया में समय लगा और हमने ईएमए में आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि एक महीने में ईएमए कोविशील्ड को मंजूरी दे देगा। ऐसा नहीं करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि यह एस्ट्राजेनेका डेटा पर आधारित है और हमारा उत्पाद कमोबेश एस्ट्राजेनेका के समान है और इसे डब्ल्यूएचओ, ब्रिटेन एमएचआरए द्वारा अनुमोदित किया गया है। तो यह सिर्फ समय की बात है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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