तो नितिशे बाबू फिर उड़ चले ? बैठेंगे कहीं न कहीं ।सच भी तो है , बेतलवा जब भी बैठता है , डाल पर ही बैठता है । आज गणतंत्र दिवस है अन्यथा बिहार में खेला कल ही हो चुका होता । पदों के भूखे लालू जल्दी से जल्दी तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं ताकि भारी भ्रष्टाचार का खेल फिर शुरू हो सके । खुद के और राबड़ी के जमाने की मौज बड़ी याद आ रही है । घोर परिवारवादी लालू ने पहले कोशिश की थी कि नीतीश को पीएम पद का रसगुल्ला दिखाकर पटना से चलता करें ।
लेकिन कहां साहब ! कांग्रेस को बचकउवा समझ लिया था क्या को कुर्सी उन्हें थमा दे ? भले ही इंडिया गठबंधन नितिशे बाबू की देन हो , लेकिन पीएम तो राहुल भैया को बनाना है ना ? तो खड़गे ने कब्जा ली इंडिया गठबंधन की कुर्सी ! हाथ मलते नितीशे बाबू भी रह गए , अब लालू भी बड़े गुस्सा हैं । नीतीश परिवारवाद पर भड़के तो लालू ने बेटी से नीतीश के खिलाफ ट्वीट करा दिया । अब नीतीश बाबू तो नितिशे बाबू ठहरे ! फिर उड़ चले डाली से । अब अटलजी और कर्पूरी बाबू को मानते हैं तो वहीं पहुंचेंगे , जहां का नसीब था ?
इंडिया गठबंधन किसी सूरत में न बनता अगर नीतीश न होते । अब टूटेगा भी इसलिए चूंकि नीतीश न होंगे । नीतीश यह तो शुरू से जानते हैं कि कांग्रेस बड़ा जहरीला नाग है । उन्हें पता है कि आज इंडिया गठबंधन में जितनी पार्टियां हैं , उन सभी का जन्म कांग्रेस के खिलाफ हुआ था । नीतीश यह भी जानते हैं कि उन्होंने जिस भाजपा के खिलाफ गठबंधन का अखाड़ा खोदा , उस भाजपा का जन्म भी कांग्रेसवाद के खिलाफ़ ही हुआ था । तो राजनीति के चतुर खिलाड़ी नीतीश को बीजेपी से कोई परहेज कभी नहीं रहा । वे पहले भी अटल कैबिनेट का महत्वपूर्ण हिस्सा रह चुके हैं ।
पटना में जितनी हलचल है , दिल्ली में उससे कम नहीं । तभी तो जेपी नड्डा ने कल की केरल यात्रा स्थगित कर दी । बंगाल पहुंचे राहुल गांधी ने भी अपनी यात्रा दो दिन के लिए रोक दी और दिल्ली आ पहुंचे । लालू भी एक्टिव हैं और नीतीश भी । एक जगह नहीं , अलग अलग । नीतीश ने तेजस्वी के बजाय अकेले जाकर राज्यपाल से भेंट की । मतलब बहुत कुछ चल रहा है जो इंडिया गठबंधन के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता । नीतीश का बीजेपी में जाना कितना निश्चित है , इसका संकेत यही है कि केसी त्यागी , अश्विनी चौबे और सम्राट चौधरी एक साथ एक ही विमान में पटना से दिल्ली पहुंचे ।
बहरहाल आज गणतंत्र दिवस मनाइए। कल देखेंगे कि राजनीति किस करवट बैठती है।कुछ तो बड़ा होगा तो कल जरूर होकर रहेगा।राजनीति का रिवाज है कि कोई नेता यदि करवट बदलता है तो फिर उठकर नई दिशा की ओर चलता जरूर है।देखें,नीतीश कहां पहुंचते हैं।
अवधेश प्रताप सिंह