दिग्गज टेक कंपनियों ने यूजर्स की निजता में सेंध के खिलाफ वैश्विक सख्ती दिखाई तो असर दिखने लगा है। हाल ही में एपल और गूगल को यूजर्स की गोपनीयता बढ़ाने के ऐसे उपाय करने पड़े हैं, जिसके तहत वे अपने ऑनलाइन डाटा पर खुद नियंत्रण रख सकेंगे।
इसके चलते वर्षों से लोगों की ‘निजता’ का विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल करती आई फेसबुक (मेटा) जैसी कंपनी को तगड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि यूजर्स की ट्रैकिंग रुकने से मेटा को विज्ञापनों से होने वाली अरबों डॉलर की कमाई से हाथ धोना पड़ सकता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक जैसे एप को ट्रैकिंग से रोकने का विकल्प ढेरों आईफोन यूजर्स ने चुन लिया है। इसके चलते मेटा के ऑनलाइन विज्ञापन कारोबार के प्राथमिक जरिये को झटका लगा है। ऐसे में फेसबुक पर अपना प्रमोशन चलाने के लिए विज्ञापनदावा हतोत्साहित हो रहे हैं। एंड्रॉयड के मुकाबले आईफोन पर ऑनलाइन विज्ञापन कंपनियों को ज्यादा लाभ मिलता है। ऐसे में आईफोन यूजर्स का अपनी ट्रेकिंग बंद करना मेटा के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो रहा है।
दरअसल, बीते साल एपल ने आईफोन और आईपैड के लिए एप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी (एटीटी) फीचर जोड़ा है। इससे थर्ड पार्टी एप और वेबसाइटों को यूजर्स की ऑनलाइन गतिविधि पर निगाह रखने के लिए उससे इजाजत लेनी होती है। एटीटी फीचर ने आईफोन यूजर्स के डाटा तक उनकी पहुंच रोक दो है। खुद फेसबुक (मेटा) ने एपल के इस एक कदम से अकेले 2022 में 10 अरब डॉलर के राजस्व नुकसान का आसार जताया है।
उधर, इस माह को शुरुआत में गूगल ने प्राइवेसी सैंडबॉक्स लाने का एलान कर कई कंपनियों के कान खड़े कर दिए। यह ऐसा निजता समाधान है, जो एंड्रॉयड डिवाइसों पर वेब के लिए बनाया जा रहा है। इससे विज्ञापन के लिए यूजर्स का डाटा थर्ड पार्टी से साझा करना सीमित हो जाएगा। बताया जा रहा है कि यह दूल एंड्रॉयड पर दो साल में काम करने लगेगा।
यूजर किसी वेबसाइट पर जाता है तो यहां उसकी गतिविधि से जुड़ा डाटा ब्राउजर में संग्रहित होता है, इसे ही कुकी कहते हैं। थर्ड पार्टी कुकीज कई वेबसाइटों का संचालन करने वालों सेवा द्वारा संग्रहित की जाती है। मसलन, किसी न्यूज वेबसाइट पर जाने के दौरान यूजर्स से जुड़ी कुकीज यहां मौजूद एड प्लेटफॉर्म द्वारा एकत्र की जा सकती है। वहीं फर्स्ट पार्टी कुकी खुद वेबसाइट जुटाती हैं।