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Friday, December 27, 2024

2030 तक पेट्रोल, डीजल की नई कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा सकता है ब्रिटेन |

एक ताज़ा वैश्विक घटनाक्रम में यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने एक हरित औद्योगिक क्रांति के लिए प्रतिज्ञा ली है। उनके नेतृत्व में ली गयी इस प्रतिज्ञा का दावा है कि यूके में न सिर्फ़ ऊर्जा, परिवहन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 250,000 नौकरियों का सृजन होगा बल्कि 2030 तक वहां नयी डीजल और पेट्रोल करों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लग जायेगा।

साथ ही, उसके बाद अगले पाँच सालों में सभी नए निवेश, कारोबार, हीटिंग सिस्टम, और कारों को शून्य कार्बन उत्सर्जन के अनुरूप होना पड़ेगा। यहीं नहीं, 2021 तक ट्रेजरी को सभी निवेश निर्णयों की समीक्षा करनी होगी और ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी निवेश शुद्ध शून्य कार्बन के अनुसार हों। और सरकार की जलवायु अनुकूलन टीमों की सभी योजनाएं, विश्व तापमान वर्ष 2100 तक 4c को ध्यान मैं रखकर बनाना शुरू कर देना चाहिए। इसी क्रम में यह फ़ैसला भी लिया गया कि सभी तरह के व्यवसायों को ‘नेट शून्य कार्बन के अनुसार निगरानी और सत्यापन’ के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।

इस बात की भी उम्मीद है कि यूके नए एनडीसी कंट्रीब्यूशन को दिसंबर 2020/जनवरी 2021 तक प्रस्तुत करेगा। इस पूरे घटनाक्रम का आधार बनी यूके क्लाइमेट असेम्बली की एक जांच रिपोर्ट जो कहती है कि कोविड के बाद सरकार को सभी भागीदारों (चीन, अमेरिका सहित) के साथ काम करना चाहिए, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज जलवायु-अनुकूल हों ।

इस जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि:

  • कुल 93% विधानसभा सदस्य पूरी तरह से सहमत थे कि नियोक्ताओं और अन्य लोगों को लॉकडाउन आसान करने के इस तरह के कदम उठाने चाहिए जिससे जीवन शैली में ऐसे बदलाव आएं कि वह नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के अनुरूप हो सकें।
  • 79% सदस्यों को लगता था कि नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने में मदद के लिए सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए उठाए गए कदम ठीक हैं लेकिन 9% सदस्य इस बात से असहमत थे ।

इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट (IIED) की वरिष्ठ फेलो डॉ कमिला तौल्मिन कहती हैं, “महामारी के कारण जलवायु सम्बन्धी वार्ताएं लगभग एक वर्ष पीछे चली गई हैं, COP26 के राष्ट्रपति के रूप में हम वर्ष 2020 में जलवायु कार्रवाई में मंदी या देरी को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। ब्रिटेन में और दुनिया भर में जलवायु का प्रभाव बार बार और लगातार महसूस किया जा रहा है। कई अफ्रीकी देश जलवायु प्रभावों और महामारी की दोहरी मार की वजह से एक गंभीर ऋण संकट का सामना कर रहे हैं । जलवायु संकट थम नहीं रहा है।”

यह रिपोर्ट और प्रधान मंत्री जॉनसन के फ़ैसले दर्शाते हैं कि युके रिकवरी पैकेज पेश करके अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है जिससे आने वाले वक्त में अर्थव्यवस्था, नौकरियों और जलवायु के अनुरूप कम कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा मिलेगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश करने का समय

आगे, इंस्टीट्यूट फॉर न्यू इकोनॉमिक थिंकिंग (INET) के सीनियर फेलो, एडिअर टर्नर ने कहा, “समिति उन नीतियों के लिए अधिक अवसर प्रदान करने पर जोर देती है जिससे दोनों दिशाओं में प्रगति होगी एक ओर आर्थिक सुधार और दूसरी ओर शून्य कार्बन उत्सर्जन, जो बिल्कुल सही भी है।

वो आगे कहते हैं, “ब्याज की गिरती हुई दरों को देखते हुए, अब अक्षय ऊर्जा और हरित बुनियादी ढांचे के अन्य रूपों में निवेश करने का समय है; रोजगार को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए सरकार की नीतियां हरित रोजगार बनाने पर केंद्रित होनी चाहिए और उन फर्मों को सरकारी समर्थन मिलना चाहिए जो उत्सर्जन में कटौती के लिए ज़्यादा से ज़्यादा प्रतिबद्ध हैं, पुरानी तकनीक पर निर्भर और संभावित रूप से फंसी हुई परीसंपत्तियों का समर्थन करने से बचना चाहिए।”

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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