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Friday, May 17, 2024

13वीं शताब्दी की राम, लक्ष्मण और सीता की प्राचीन मूर्तियां चार दशक बाद पहुंची भारत |

भारत से साल 1978 में चोरी की गई प्राचीन भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियों को वापस लाया गया है। कास्य धातु की इन प्राचीन मूर्तियों को लंदन से वापस भारत वापस लाया गया है। बुधवार को इन मूर्तियों को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने तमिलनाडु के मूर्ति विंग को हस्तांरित कर दिया। यह मूर्तियां 13वीं शताब्दी की मूर्तियां हैं, जिन्हें 1978 में तमिलनाडु के नागपट्टनम मंदिर से चुराया गया था। मंदिर का निर्माण विजयनगर काल में हुआ था। तमिलनाडु के नागपट्टनम मंदिर का निर्माण विजयनगर काल में हुआ था।

2014 से अब तक 40 पुरावशेषों की भारत हो चुकी वापसी

केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अथक प्रयासों से साल 1976 से लेकर अब तक 53 प्राचीन मूर्तियां विदेशों से वापस लाई गई हैं। जबकि साल 2014 से अब तक 40 पुरावशेषों की भारत वापसी हो चुकी है। जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न देशों से हाल के वर्षों में पुरावशेषों का सफल प्रत्यावर्तन किया गया है।

उल्लेखनीय है कि 16 सितंबर, 2020 को लंदन में भारतीय उच्चायोग को तीनों मूर्तियां सौंप दी गई थीं। इस मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी मौजूद रहे। तीनों मूर्तियां ब्रिटेन से भारत आते ही अब इसे नियमों के अनुसार तमिलनाडु विंग को सौंप दिया गया है। नियमों के मुताबिक जो मूर्ति जहां से चोरी की गई थी, उसे वहीं वापस उसी स्थान पर रखा जाता है।

ये हैं वो मूर्तियां जिन्हे साल 2020 में भारत वापस लाई गई

नटराज (सर्प राज ) की प्रस्तर मूर्ति (मध्य भारत) -आस्ट्रेलिया

द्वारपाल प्रस्तर मूर्ति ( तमिलनाडु) -ऑस्ट्रेलिया

द्वारपाल प्रस्तर मूर्ति (तमिलनाडु) -ऑस्ट्रेलिया

नटेश शिव (राजस्थान)- ब्रिटेन

चूना पत्थर खंडित स्तंभ (आंध्र प्रदेश)-ब्रिटेन

राम की धातु प्रतिमा ( तमिलनाडु) -ब्रिटेन

सीता की धातु प्रतिमा (तमिलनाडु) -ब्रिटेन

लक्ष्मण की धातु प्रतिमा (तमिलनाडु) -ब्रिटेन

भारत सरकार की कोशिश है कि भारत की पौराणिक अमूल्य धरोहर जो किसी भी वजह से भारत से गायब हुईं उन्हें हर हाल में भारत वापस लाया जाये |

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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