नई दिल्ली, 1 मई 2025, गुरुवार। जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की शुरुआती जांच ने इस साजिश के पीछे की गहरी और सुनियोजित चाल को उजागर किया है। आतंकियों ने चार लोकप्रिय पर्यटन स्थलों – आरु घाटी, बेताब घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बैसरन घाटी – की रेकी की थी, लेकिन अंत में बैसरन घाटी को ही निशाना बनाया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि आतंकियों ने बाकी तीन जगहों को छोड़कर बैसरन को चुना?
आतंकियों का खूनी प्लान: दो दिन पहले पहुंचे थे पहलगाम
NIA की जांच में पता चला कि आतंकी 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे। अगले तीन दिनों में उन्होंने घाटी में खूनी खेल की साजिश रची। सूत्रों के अनुसार, पकड़े गए ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) ने खुलासा किया कि हमला पूरी तरह प्री-प्लान्ड था। आतंकियों ने चार प्रमुख पर्यटन स्थलों की गहन रेकी की, लेकिन बैसरन घाटी की भौगोलिक स्थिति और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था ने इसे उनके लिए आसान लक्ष्य बना दिया।
आरु घाटी: सुरक्षा की मजबूत दीवार
पहलगाम से 12 किलोमीटर दूर स्थित आरु घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और कोलाहोई ग्लेशियर के ट्रेकिंग रूट के लिए मशहूर है। घने जंगल और शांत वातावरण इसे पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाते हैं, लेकिन यही इसकी सुरक्षा का आधार भी है। जांच में सामने आया कि आरु घाटी में सुरक्षा बलों की नियमित गश्त और छोटी-छोटी पुलिस चौकियां आतंकियों के लिए बड़ी बाधा थीं। पर्यटकों की मौजूदगी और निगरानी के चलते आतंकियों ने इस जगह को निशाना बनाने का इरादा छोड़ दिया।
बेताब घाटी: भीड़ और सतर्क सुरक्षाबल
पहलगाम से 7 किलोमीटर दूर बेताब घाटी, जिसका नाम 1993 की फिल्म ‘बेताब’ से प्रेरित है, लिद्दर नदी और देवदार के जंगलों से घिरी एक मनोरम जगह है। सप्ताहांत पर यहां पर्यटकों की भारी भीड़ होती है, और सुरक्षाबल पूरी तरह मुस्तैद रहते हैं। आतंकियों को लगा कि यहां हमला करना जोखिम भरा होगा, क्योंकि सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों की संख्या उनके लिए चुनौती थी। नतीजतन, बेताब घाटी उनके प्लान से बाहर हो गई।
एम्यूजमेंट पार्क: CCTV और पुलिस की पैनी नजर
पहलगाम बाजार से महज 1.5 किलोमीटर दूर स्थित एम्यूजमेंट पार्क बच्चों और परिवारों का पसंदीदा ठिकाना है। यहां झूले, किड्स जोन और मनोरंजन की सुविधाएं इसे आकर्षक बनाती हैं, लेकिन CCTV कैमरे, स्थानीय पुलिस की मौजूदगी और पास के पुलिस स्टेशन ने इसे आतंकियों के लिए ‘नो-गो जोन’ बना दिया। भीड़भाड़ और निगरानी के चलते आतंकी यहां हमले की हिम्मत नहीं जुटा सके।
बैसरन घाटी: आतंकियों का ‘सॉफ्ट टारगेट’
NIA की रिपोर्ट के मुताबिक, बैसरन घाटी की खुली और ऊंची घास की मैदानी संरचना, कमजोर सुरक्षा ढांचा और निगरानी की कमी ने इसे आतंकियों के लिए आदर्श लक्ष्य बनाया। पहलगाम से कुछ दूरी पर स्थित यह घाटी ट्रेकिंग के लिए लोकप्रिय है, लेकिन यहां स्थायी सुरक्षा चौकियां नहीं हैं। घाटी तक पहुंचने वाले रास्तों पर भी निगरानी कम रहती है। आतंकियों को लगा कि यहां हमला करने पर पकड़े जाने का जोखिम कम होगा। चार OGW की मदद से पाकिस्तानी आतंकियों ने इलाके की रेकी की और बैसरन को अपने खूनी मंसूबों का केंद्र बनाया।
सैटेलाइट फोन और संगठित नेटवर्क
जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। आतंकियों ने हमले की साजिश रचने के लिए तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया, जिनमें से दो के सिग्नल ट्रेस कर लिए गए हैं। अब तक 2500 संदिग्धों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें 186 हिरासत में हैं। NIA का कहना है कि आतंकियों का नेटवर्क बड़ा और संगठित है, लेकिन जांच की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं।
सवाल जो बाकी हैं
यह हमला न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि पर्यटन स्थलों की सुरक्षा को और कैसे मजबूत किया जाए। बैसरन घाटी में हुए इस हमले ने एक बार फिर आतंकवाद के खतरे को उजागर किया है। क्या अब सरकार और सुरक्षा एजेंसियां ऐसी कमजोर कड़ियों को और मजबूत करेंगी? यह समय बताएगा।