लखनऊ, 6 जनवरी 2025, सोमवार। आगरा में सरबस दानी श्री गुरु गोविंद साहिब जी के प्रकाश पर्व पर एक भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। यह आयोजन श्री गुरु सिंह सभा माईथान से शुरू हुआ और इसमें शहर के सभी 29 गुरुद्वारों के अलावा अन्य शहरों और कस्बों की संगत ने भाग लिया था। नगर कीर्तन में सड़कों पर प्राचीन युद्ध कला गतका के प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसे देखकर शहर के लोग रोमांचित हो उठे। नगर कीर्तन के दौरान आगरा शहर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
नगर कीर्तन में सबसे आगे कमांडर की जीप में हरविंदर सिंह पाली द्वारा गुरुद्वारा माईथान एवं सिख इतिहास की जानकारी देते हुए शहर वासियों को पुस्तक भेंट करते हुए जा रहे थे। उसके पश्चात सैकड़ों की संख्या में दोपहिया वाहनों पर नौजवान वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह के नारे लगाते हुए चल रहे थे और उनके पीछे 21 घोड़ों पर नौजवान चल रहे थे। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्रछाया में निकले इस नगर कीर्तन की अगुवाई भाई पंच प्यारे कर रहे थे। इस भव्य आयोजन में फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, भरतपुर, अलीगढ़, टूंडला एवं मथुरा समेत दूसरे अन्य शहरों से भी कीर्तन जत्थे और संगत आगरा पहुंची।
समूचे नगर कीर्तन के रास्ते में स्वागत के लिए कई द्वार बनाए गए थे। इन द्वारों पर नगर कीर्तन का भव्य स्वागत किया गया। विशेष रूप से 21 घोड़े और बैगपाइपर बैंड नगर कीर्तन की आभा में चार चांद लगा रहे थे। धर्मावलंबी पुरुष केसरिया पगड़ी पहने में थे। वहीं महिलाएं पीली चुन्नी धारण किए हुए थी। आगरा शहर में चल रहे नगर कीर्तन की शोभा देखते ही बन रही थी। इस नगर कीर्तन में नौजवानों का एक जत्था श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी के आगे झाड़ू एवं फूलों की सेवा करते हुए चल रहा था। आगरा शहर के पूरे नगर कीर्तन मार्ग पर जगह-जगह खाने के स्टॉल लगाए गए थे, जहां पर नगर कीर्तन में शामिल हुई संगत की सेवा की जा रही थी।
नगर कीर्तन के बंटी ग्रोवर ने बताया कि गुरुद्वारा बालूगंज के प्रधान इंद्रजीत सिंह गुजराल की देखरेख में बालूगंज गुरुद्वारे पर नगर कीर्तन की अगवानी के लिए बेनिफिट स्कूल से गुरुद्वारा तक दोनों तरफ भव्य सजावट के साथ शाम के समय भावे आतिशबाजी का भी आयोजन किया गया।
नगर कीर्तन के समूचे मार्ग पर रंजीत अखाड़े के वीरों ने प्राचीन सिख मार्शल आर्ट गतका का शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में 5 वर्ष की उम्र के बच्चों से लेकर 18 वर्ष तक के नौजवान शामिल थे। तलवार, ढाल,दोधारी तलवार , कटार , खंजर, भाला, बरछा, नेजा, गोला ,कांटेदार भाला, दस फुटी तलवार समेत अन्य प्राचीन शास्त्रों का शानदार प्रदर्शन किया गया कि जिसे देखकर लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली। यही नहीं, रंजीत अखाड़े में छोटी-छोटी बालिकाओं ने भी प्राचीन युद्ध कला का प्रदर्शन कर सभी का मन मोह लिया।