गांव वालों ने घेरकर मारी थी गोली, डीएसपी हत्याकांड में 10 दोषी करार, कोर्ट 9 अक्टूबर को सुनाएगी सजा
लखनऊ, 5 अक्टूबर। 2013 में की गई सीओ जिआउल हक हत्याकांड में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने 10 आरोपितों को दोषी करार दिया है। शुक्रवार को कोर्ट में सीओ हत्याकांड मामले की सुनवाई हुई। स्पेशल कोर्ट के जस्टिस धीरेंद्र कुमार ने इस मामले में जिन्हें दोषी पाया है उनके नाम है फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन, छोटे लाल यादव, राम आश्रय, मुन्ना लाल यादव, शिवराम पासी और जगत पाल है। इस मामले में एक अन्य आरोपित सुधीर को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। अदालत में मौजूद सभी आरोपितों को दोषी कराए दिए जाने के बाद कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 9 अक्तूबर को तलब किया है। बता दें, प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को DSP की हत्या कर दी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई के द्वारा की जा रही थी। वहीं हत्या का आरोप रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया और ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था, लेकिन सीबीआई की जांच में दोनों को क्लीन चिट मिल गई थी।
सीओ की पत्नी ने राजा भईया को बनाया था आरोपित
उत्तर प्रदेश के कुंडा क्षेत्र में पुलिस अधिकारी के रूप में तैनात जियाउल हक की हत्या के बाद उनकी पत्नी परवीन ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें पांच आरोपियों को नामजद किया गया था, जिनमें प्रमुख नाम रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया का था। अन्य आरोपी गुलशन यादव, हिरओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह और संजय सिंह उर्फ गुड्डू थे। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था, जिनमें हत्या (धारा 302), आपराधिक षड्यंत्र (धारा 120 बी), और अन्य गंभीर आरोप शामिल थे। राजा भैया को अखिलेश सरकार से इस्तीफा तक देना पड़ा था।
राजा भईया को मिली थी क्लीन चिट
इस मामले की गंभीरता और राजनीतिक प्रभाव के चलते उस समय की उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी। हालांकि, CBI ने 2013 में अपनी जांच पूरी करते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी, जिसका मतलब था कि मामले में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले। बता दें कि देवरिया जिले के नूनखार टोला जुआफर गांव के रहने वाले जियाउल हक की 2012 में कुंडा में सीओ के पद पर नियुक्ति हुई थी। उनकी तैनाती के बाद से ही उन पर कई प्रकार के दबाव डालने के प्रयास किए गए थे।
क्या था पूरा मामला
प्रॉसिक्यूटर्स के मुताबिक, घटना की शुरूआत 2 मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई। प्रधान के सपोर्टर बदला लेने के लिए बड़ी तादाद में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए। गांव में बवाल होता देख कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ यादव के घर की तरफ जाने से डर रहे थे, तभी जांबाज डीएसपी हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े। उस वक्त में गांव वाले ताबड़तोड़ गोलीबारी कर रहे थे, गोलीबारी से डरकर सीओ की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और ASI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए।
लेकिन, हक नहीं डरे वो गांव की तरफ बढ़ते चले गए। वो जैसे ही गांव पहुंचे उग्र ग्रामीणों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। इसी दौरान प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव को भी भीड़ में से किसी ने गोली मार दी, जिससे उसकी भी मौत हो गई। सुरेश की मौत के बाद उग्र भीड़ ने हक को पहले लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा किया और फिर उसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। सूचना पाकर जिले से रात 11 बजे बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी बलीपुर गांव पहुंचे और सीओ की तलाश शुरू की। आधे घंटे तक चली इस तलाशी में जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे पड़ा मिला।
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