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Saturday, May 18, 2024

‘बस्तर फाइटर्स’ में 2100 कांस्टेबल चुने गए हैं जिनमें नौ ट्रांसजेंडर भी शामिल

छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बस्तर जिले में नक्सलियों से निपटने के लिए राज्य पुलिस ने एक नई विशेष इकाई गठित की है। इस विशेष इकाई को ‘बस्तर फाइटर्स’ नाम दिया गया है। ‘बस्तर फाइटर्स’ में 2100 कांस्टेबल चुने गए हैं जिनमें नौ ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं, इन्हें बस्तर डिवीजन में तैनात किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

राज्य पुलिस ने पहली बार बस्तर रेंज में तैनाती के लिए ट्रांसजेंडर की भर्ती की है। पुलिस का मानना है कि ये लोग आदिवासी बहुल क्षेत्र में पुलिस व्यवस्था में नया आयाम जोड़ेंगे। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने चयन पर इन लोगों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडर (Transgender) समुदाय से चयनित नौ लोगों में आठ कांकेर के हैं और एक बस्तर जिले से है।

आईजीपी ने कहा कि हम थर्ड जेंडर पुलिसकर्मियों को काम के लिए अनुकूल माहौल और सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश करेंगे, ताकि उन्हें फोर्स के भीतर किसी तरह का भेदभाव महसूस न हो। आईपीएस अधिकारी ने कहा कि उन्हें ड्यूटी में शामिल होने से पहले पुलिस प्रशिक्षण स्कूल माणा, रायपुर में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने स्थानीय युवाओं को विशेष रूप से भर्ती करने के लिए एक अलग बल ‘बस्तर फाइटर्स’ की स्थापना करने का निर्णय लिया था। इस बल में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, इलाके से परिचित हैं और आदिवासियों के साथ घुले-मिले हैं। यह बल नक्सल आंदोलन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

इस बल में भर्ती के लिए 2,100 पदों को मंजूरी दी गई थी। इसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव-क्षेत्र के सात जिलों से 300-300 लोगों को शामिल किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कांस्टेबलों के 2,100 पदों के लिए कुल 53,336 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 15,822 महिलाओं और 16 ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के थे।

आईजी सुंदरराज ने कहा कि शारीरिक और लिखित परीक्षा सहित भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के बाद सोमवार को नौ ट्रांसजेंडर समेत 2100 कर्मियों की चयन सूची जारी की गई। उन्होंने कहा कि ‘बस्तर फाइटर्स’ की भर्ती ने क्षेत्र के युवाओं के लिए बस्तर की शांति और विकास में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए नए रास्ते खोले हैं।” उन्होंने बताया भर्ती प्रक्रिया के दौरान, आंतरिक क्षेत्रों के चुनिंदा युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था, ये पहले ही दुर्गमता, संचार और शैक्षिक सुविधाओं की कमी और ऐसी अन्य प्रतिकूल चुनौतियों का सामना कर चुके हैं।

 

आईजी सुंदरराज ने कहा कि सुरक्षा बलों के सदस्यों को आंतरिक वन क्षेत्र के लोगों के मुकाबले कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें स्थानीय भाषाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि ‘बस्तर फाइटर्स’ इस खाई को पाटने में मदद करेंगे। सुंदरराज ने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह इकाई निकट भविष्य में बस्तर क्षेत्र में काफी सकारात्मकता लेकर आएगी।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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