अलविदा हो रहे वर्ष 2021 में भारत में कम से कम 126 बाघों की मौत हुई है। इनमें सर्वाधिक 44 बाघ मध्य प्रदेश में मारे गए हैं।
राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने गुरुवार को यह जानकारी दी। प्राधिकरण ने कहा कि वह मध्य प्रदेश में हाल ही में एक बाघ की मौत की पड़ताल कर रहा है। बुधवार को राज्य के छिंदवाड़ा में एक बाघ मृत पाया गया था। इसके साथ ही राज्य में इस साल कुल 44 बाघों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार दो दिन पहले मप्र के डिंडौरी जिले में एक बाघिन की भी मौत हुई थी। उसकी मौत कथित तौर पर जहर देने से हुई।
एनटीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि 2021 में बाघों की ज्यादा मौतें हुई हैं। इसकी पड़ताल की जा रही है। अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि बाघों की मौतें रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इनमें गश्त बढ़ाने के अलावा शिकारियों की गिरफ्तारी के कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाघों की मौत के कई कारण हो सकते हैं। बाघों की आबादी भी बहुत है। उनकी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर (SoP) अपनाया जा रहा है। बाघ की मौत की वजह का राज्य सरकार व एनटीसीए दोनों पता लगा रहे हैं।
जहर देने का दावा खारिज
अधिकारी ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज किया, जिनमें मप्र के डिंडौरी में बाघिन को जहर देने का दावा किया गया था। उन्होंने कहा कि यह मात्र अनुमान है। पड़ताल में वक्त लगता है। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के लिए गश्त जैसे उपाय जारी हैं और शिकार रोकने के भी कई उपाय किए जा रहे हैं। बाघों के संरक्षण के कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि करीब 30 फीसदी मौतें टाइगर रिजर्व के बाहर हुई हैं।
एनटीसीए के अनुसार इस साल मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 44 बाघों की मौतें हुई हैं। इसके बाद महाराष्ट्र का स्थान आता है, जहां 26 मौतें हुईं। कर्नाटक तीसरे नंबर पर रहा और वहां 14 मौतों के मामले सामने आए।