आरआईएनएल को देश की सेवा में एक अभूतपूर्व सहयोगी बताते हुए इन सांसदों ने कहा है कि एक नीति के तहत सभी उपक्रमों को बेचने की नीति सही नहीं है। यह ऐसा संस्थान रहा है जिसने देश की आजादी के बाद देश को इस्पात के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके सहयोग के कारण ही देश ने इस्पात का प्रयोग कर आगे बढ़ने वाले रेल उद्योग, सड़क-पुल निर्माण उद्योग, कल-कारखाने और वाहनों के निर्माण उद्योग ने आज पूरी दुनिया में अपनी धाक बनाई है। ऐसे में इतने महत्त्वपृर्ण क्षेत्र को निजी हाथों में नहीं जाने देना चाहिए।
सांसदों ने कहा है कि जो उपक्रम घाटे में चल रहे हों, उन्हें बेहतर प्रबंधन के लिए निजी हाथों में सौंपने के पीछे एक कारण समझा जा सकता है, लेकिन जो उपक्रम लाभ में हैं और वे रणनीतिक दृष्टि से राष्ट्र के लिए बेहद अहम हैं, उन्हें निजी हाथों में बेचने का फैसला किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता।
सांसदों ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि आरआईएनएल को बेचने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए। इसके पूर्व 28-29 मार्च को श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन कर सरकारी उपक्रमों को बेचने के फैसले पर विरोध जताया था।