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Sunday, May 19, 2024

हजीरा प्लांट में तैयार हुआ 100वां के-9 वज्र टैंक, जनरल नरवणे ने दिखाई हरी झंडी

सूरत के हजीरा में एलएंडटी आर्मर्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स में अत्याधुनिक के-9 वज्र टैंक बनाए जा रहे हैं। फैक्टरी में 100वां टैंक बनकर तैयार हो गया है, जिसे गुरुवार को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने हरी झंडी दिखाकर कॉम्प्लेक्स से रवाना किया। यह ऑटोमेटिक टैंक बोफोर्स से भी अत्याधुनिक हैं। जनरल नरवणे ने फैक्टरी का दौरा करके लार्सन एंड टुब्रो के रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।

सेना प्रमुख जनरल नरवणे गुरुवार को सूरत के हजीरा में स्थित लार्सन एंड टुब्रो डिफेंस की फैक्टरी पहुंचे जहां अत्याधुनिक के-9 वज्र टैंक बनाए जा रहे हैं। लार्सन एंड टुब्रो भारतीय सेना को स्वदेशी रूप से निर्मित के-9 वज्र टैंक 155 मिमी/52 कैलिबर की स्व-चालित बंदूकों की आपूर्ति कर रहा है। रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 2017 में दक्षिण कोरिया से के-9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था, जिनमें से 10 पूरी तरह से तैयार हालत में मिले थे। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी हजीरा प्लांट में तैयार किये हैं जिसमें से 100वें टैंक का भी निर्माण पूरा कर लिया गया है।

पीएम मोदी ने पहला टैंक देश को किया था समर्पित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनवरी, 2019 को इस प्लांट में सेना के लिए तैयार किया गया, पहला शक्तिशाली के-9 वज्र टैंक देश को समर्पित किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने इस टैंक की सवारी करके इसका जायजा भी लिया था। इसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 51वें के-9 वज्र टैंक को हजीरा में हरी झंडी दिखाई। फैक्टरी में बनाए गए 91वें टैंक को 10 जनवरी, 20 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने हरी झंडी दिखाकर कॉम्प्लेक्स से रवाना किया था। एलएंडटी साउथ कोरिया की हानवा टेकविन के साथ मिलकर यह टैंक बना रही है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई 50 प्रतिशत से ज्यादा सामग्री स्वदेशी है।

के-9 वज्र टैंक की खासियत

सूरत के हजीरा एलएंडटी प्लांट में तैयार किये जा रहे के-9 वज्र टैंक काफी एडवांस है, जिसे ‘टैंक सेल्फ प्रोपेल्ड होवरक्राफ्ट गन’ भी कहते हैं। टैंक की खासियत ने बोफोर्स टैंक को भी पीछे छोड़ दिया है। बोफोर्स टैंक की तोप एक्शन में आने से पहले पीछे जाती है लेकिन के-9 वज्र टैंक ऑटोमेटिक है। के-9 वज्र दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे के-9 थंडर जैसे हैं। 155 एमएम कैलिबर के-9 व्रज को एक बख्तरबंद गाड़ी पर माउंट किया गया है।

यह तोप रेगिस्तान और सड़क दोनों जगह पर 60 से 70 किलोमीटर की स्पीड से चलते हुए यह तोप दुश्मनों पर गोले बरसाने के बाद तेजी से अपनी लोकेशन को चेंज करने की क्षमता रखती है। सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी वाले इस एक टैंक का वजन 47 टन है, जो 47 किलो के गोले को 43 किमी. की दूरी तक दाग सकता है। यह स्वचालित तोप शून्य त्रिज्या पर भी घूम सकती है। डायरेक्ट फायरिंग में एक किमी दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है। यह किसी भी मौसम में काम करेगा। इसकी लंबाई 12 मीटर और ऊंचाई 2.73 मीटर है। इस टैंक में चालक के साथ पांच लोग सवार हो सकते हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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