बीते वर्ष आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार ने जब अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी कंपनियों की साझेदारी को बढ़ावा देने की बात की, तो रोजगार के तमाम अवसर उसी वक्त दिखाई देने लगे। इस ऐलान को अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है कि 26 भारतीय निजी कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने इनोवेशन और स्किल का प्रदर्शन करने के लिए आगे आयी हैं।
सरकार ने अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को समर्थ बनाने की प्रक्रिया के रूप में अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन एवं प्राधीकरण केंद्र (इनस्पेस) नामक एक राष्ट्रीय स्तर के स्वायत्त नोडल एजेंसी का सृजन किया था, जिसके बाद से अब तक 26 भारतीय निजी कंपनियों ने अपनी संपूर्ण अंतरिक्ष गतिविधियों के समर्थन हेतु अंतरिक्ष विभाग से संपर्क किया है।
जून 2020 में निजी क्षेत्र की कंपनियों को भागीदारी का दिया था न्योता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में जून 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष गतिविधियों के समस्त क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधारों को मंजूरी दी थी। यह उसी निर्णय का नतीजा है कि अब निजी क्षेत्र की कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभाने के लिए आगे आ रही हैं।
भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में उन्नत क्षमताओं वाले चंद देशों में एक
गौरतलब हो भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में उन्नत क्षमताओं वाले चंद देशों में एक है। इन सुधारों से क्षेत्र को नई ऊर्जा तथा गतिशीलता प्राप्त होगी जिससे देश को अंतरिक्ष गतिविधियों के अगले चरण में तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इससे न केवल इस क्षेत्र में तेजी आएगी बल्कि भारतीय उद्योग विश्व की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमान पर रोजगार की संभावनाएं भी पैदा होंगी। ऐसे में भारत एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी पावरहाउस बनता नजर आ रहा है।
निजी इंडस्ट्रीज अब इन पर करेगी काम
ये निजी इंडस्ट्रीज अब प्रमोचन यान का विकास करेंगी। यह प्रक्षेपक के बतौर अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिए मदद करते हैं। इसके अलावा सेटेलाइट निर्माण, अनुप्रयोगों के विकास एवं भू-अवसंरचना की स्थापना के लिए भी ये कंपनियां काम करेंगी। अंतरिक्ष विभाग सभी कंपनियों को तकनीक मार्गदर्शन, समीक्षाएं, सुविधाओं की साझेदारी, प्रमोचन यान विकसित बनाने में सहायता इत्यादि समेत उनकी अंतरिक्ष गतिविधियों में हर संभव मदद प्रदान कर रहा है।
इसरो ने 235 से भी अधिक इंडस्ट्रीज़ की मदद के लिए 363 तकनीक की ट्रांसफर
लोकसभा की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसरो को स्पिन-ऑफ और अन्य वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए गैर-विशिष्ट आधार पर विकसित की गई प्रौद्योगिकियों को स्थानांतरित करने के लिए एक संरचित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तंत्र मिला है। वाणिज्यिक कार्य अंतरिक्ष विभाग के वाणिज्यिक अंग, एन.एस.आई.एल द्वारा किया जाएगा। अब तक 235 से भी अधिक इंडस्ट्रीज़ को लगभग 363 प्रोद्योगिकियां ट्रांसफर की गई हैं। कुछ लोकप्रिय प्रोद्योगिकियों में ली-ईऑन, नेवआईसी रिसिवर, डिस्ट्रेस अलर्ट ट्रांसमीटर, सेंसर, स्पेशल मटीरियल, कोटिंग्स इत्यादि शामिल हैं। वहीं गगनयान के पहले मानव मिशन के लिए पहले दो मानव रहित उड़ानें स्पेस में भेजे जाने की योजना है। पहली मानव रहित उड़ान इसी साल के आखिर में यानी दिसंबर में भेजी जाएगी।
ये सुधार इसरो को अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों, नई प्रौद्योगिकियों, खोज मिशनों तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों पर अधिक फोकस करने में सक्षम बनायेगा। साथ ही कुछ ग्रह संबंधी खोज मिशनों को भी ‘अवसर की घोषणा‘ तंत्र के जरिये निजी क्षेत्र के लिए खोला जा सकेगा।