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Friday, May 17, 2024

सैन्य कमांडरों की बैठक में भारत की दो टूक- LAC पर मई से पूर्व की स्थिति बहाल करे चीन

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव खत्म करने को लेकर भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच आठवें दौर की बातचीत शुक्रवार की सुबह भारतीय क्षेत्र चुशूल में आरंभ हुई। इस दौरान भारत की तरफ से अपने पुराने स्टैंड को दोहराया गया, जिसमें एलएसी पर मई से पूर्व की स्थिति को बहाल करना है। भारत की तरफ से पहली बार बैठक का नेतृत्व 14वीं कार्प के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने सात दौर की बैठकों का नेतृत्व किया था। लेकिन 14वीं कार्प में उनका कार्यकाल पूरा हो गया है। जबकि चीन की तरफ से मेजर जनरल लियू लिन बैठक का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों तरफ से पिछली बैठकों की भांति विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद हैं।  

शुक्रवार को सुबह शुरू हुई बैठक देर रात तक जारी रही। आज यानी शनिवार को बैठक को लेकर दोनों देश संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं। पिछली बैठकों में विदेश मंत्रियों के बीच मास्को में तय हुए पांच बिन्दुओं पर आग बढ़ने पर सहमति बनी है। लेकिन इन मुद्दों को जमीन पर उतारने को लेकर अभी तक गतिरोध बना हुआ है। इनमें सबसे पहले दोनों देशों को अपनी सेनाएं पीछे हटानी है। 

सूत्रों की मानें तो इस बैठक के दौरान भारत ने स्पष्ट किया है कि मई से पूर्व की स्थिति चीन बहाल करे और उसी अनुरूप भारत भी कार्रवाई करेगा। खबर है कि चीन भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह पहले ऊंची पहाड़ियों से पीछे हटे। दरअसल, भारत ने पिछले दिनों कई ऊंची पहाड़ियों पर मोर्चा संभालकर चीन पर बढ़त हासिल कर ली थी। इससे चीनी सेना बौखलाई हुई है। दोनों देशों ने 50-50 हजार सैनिकों का जमावड़ा एलएसी के करीब कर रखा है। 

इस बीच कई दौर की वार्ताओं से सिर्फ इतना फायदा हुआ है कि पिछले दो महीनों के दौरान स्थिति जस की तस है। यदि वह सुधरी नहीं है तो बिगड़ी भी नहीं है। इसलिए अगल अब दोनों देश सेनाओं को पीछे हटाने की दिशा में कदम उठा लेते हैं तो यह बड़ी प्रगति होगी। बीते कुछ दिनों में भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने एक के बाद एक कई बैठकें कीं जिनमें पूर्वी लद्दाख की संपूर्ण स्थिति की समीक्षा की गई और तय किया गया कि चीन के साथ बातचीत में जवानों की समग्र वापसी के लिये दबाव बनाया जाएगा। 

कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को हुई थी और उस दौरान चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगे रणनीतिक ऊंचाई वाले कुछ स्थानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा था। भारत ने हालांकि स्पष्ट किया था कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर एक साथ शुरू हो। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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