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Monday, May 20, 2024

सिंघु बॉर्डर पर खालसा फौज ने संभाला मोर्चा, कहा- बस घेरा बनाकर किसानों की सुरक्षा के लिए आए हैं

कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी की सड़कों पर डटे किसानों और सरकार के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। लंबी बातचीत और मंथन के बाद तय सिर्फ यह हो सका कि अगले दौर की बातचीत 9 दिसंबर को होगी। वहीं दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने अब भी डेरा जमाया हुआ है। इस बीच शुक्रवार देर रात सिंघु बॉर्डर पर निहंग सिख या “खालसा फौज” ने किसानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वे लड़ाई करने नहीं बल्कि शांति सुनिश्चित करने आए थे।

पुलिस बैरिकेड्स के ठीक बगल में सोनीपत-दिल्ली राजमार्ग के एक किनारे पर, किसानों के चारों ओर एक चक्र बनाए नीले कपड़ों और बड़ी पगड़ी पहने खालसा फौज के लोग तलवारों से लैस हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बैरिकेड्स पर स्थिति बना ली है। शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन के लिए सुरक्षा कर्मियों और किसानों के बीच दीवार बना ली है।

50-60 घोड़ों के साथ कैंपिंग के लिए ये लोग कुडुका, रोपड़ और पंजाब के अन्य क्षेत्रों से ट्रकों में सिंघू सीमा तक लाए गए। निहंग सिखों ने कहा कि उनकी उपस्थिति सुरक्षा और सुरक्षा का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, ‘हमने अब उन बैरिकेड्स पर अपना डेरा जमा लिया है, जहां पुलिस बल तैनात है। यदि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों तक पहुंचना है, तो उन्हें हमारे माध्यम से जाना होगा।  समूह के एक सदस्य गुरदीप सिंह ने कहा कि निहंगों का अर्थ है सुरक्षा और संरक्षा। हम अपने लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए यहां हैं और हमें इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते है। हम किसी भी तरह से हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं।

किसानों के प्रदर्शन का आज 11वां दिन है। वहीं, किसानों की मांग पर सरकार लगातार उनसे बातचीत कर रही है और आंदोलन खत्म करने के लिए अपील कर रही है। सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश मे जुटी है, लेकिन किसान नेता तीनों कृषि कानूनों की वापसी से कम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं, किसानों की मांग पर सरकार लगातार उनसे बातचीत कर रही है और आंदोलन खत्म करने के लिए अपील कर रही है। सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश मे जुटी है, लेकिन किसान नेता तीनों कृषि कानूनों की वापसी से कम मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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