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Saturday, May 11, 2024

शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर आलिया बनी प्रियंका खरवार, इलाहाबाद HC ने कहा- यह उसका अधिकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में सुवाई करते हुए कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो। कोर्ट ने कहा कि यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूल तत्व है। दो व्यक्ति जो अपनी स्वतंत्र इच्छा से साथ रह रहे हैं, उसमें आपत्ति करने का किसी को अधिकार नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार उर्फ ​​आलिया की याचिका पर दिया है। खंडपीठ ने कहा की हम यह समझने में नाकाम हैं कानून जब दो व्यक्तियों, चाहे वे समान लिंग के ही क्यों न हों, को शांतिपूर्वक साथ रहने की अनुमति देता है तो किसी को भी व्यक्ति, परिवार या राज्य को उनके रिश्ते पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है।

खंडपीठ ने प्रियांशी उर्फ़ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ़ अंजली मिश्रा के केस में इसी हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्णयों से असहमति जताते हुए कहा कि दोनों मामलों में दो वयस्कों को अपनी मर्जी से साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है। ये फैसले सही कानून नहीं हैं।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है। इसके बाद प्रियंका ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया है और एक साल से दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी।

याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है और ऐसे विवाह की कानून में मान्यता नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि हम याचियों को हिंदू व मुस्लिम की नजर से नहीं देखते। ये दो बालिग हैं जो अपनी मर्जी और पसंद से एक वर्ष से साथ रह रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि निजी रिश्तो में हस्तक्षेप करना व्यक्ति की निजता के अधिकार में गंभीर अतिक्रमण है, जिसका उसे संविधान के अनुच्छेद 21 में अधिकार प्राप्त है। इसी के साथ कोर्ट एक युवती के पिता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर खारिज कर दी है। याचिका में कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में 25 अगस्त 2019 को दर्ज आईपीसी की धारा 363, 366, 352, 506 और पोक्सो एक्ट की धारा 7/8 की एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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