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Friday, May 10, 2024

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का समर्थन करना चीन को भारी पडा ,प्रदर्शनकारियों ने चीन की 32 फैक्टरियों में लगाई आग

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का समर्थन करना चीन को भारी पड़ता दिख रहा है। चीनी निवेश वाली कुल 32 फैक्ट्रियों पर हमले होने के बाद चीन को नुकसान झेलना पड़ रहा है। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने म्यांमार की क्रूर सेना की सहायता करने पर अपना गुस्सा चीनी फैक्ट्रियों पर निकाला है।

प्रदर्शनकारियों ने चीन की 32 फैक्टरियों में लगाई आग
म्यांमार के शहर यंगून में चीन के निवेश वाली करीब 32 फैक्ट्रियां हैं जिन पर हमले हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इन फैक्ट्रियों में आगजनी की और साथ ही कई सारी फैक्ट्रियों को लूटा भी। दरअसल, म्यांमार में तख्तापलट के पीछे चीन का हाथ बताया जा रहा है, जो लंबे समय से वहां की लोकतांत्रित सरकार से खुश नहीं था।

हमलों में 260 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
म्यांमार में स्थित चीनी दूतावास के अनुसार, यंगून में चीन कुल 32 फैक्ट्रियों पर हमले में लगभग 260 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इन फैक्टरियों में काम करने वाले चीन के दो नागरिक भी घायल हुए हैं।

उधर, चीनी विदेश मंत्रालय ने हमले को रोकने और चीनी कर्मचारियों व उद्यमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए म्यांमार की सेना से बात की है। साथ ही चीन ने हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों को दंडित करने को भी कहा है।

म्यांमार ने फैक्टरियों वाले इलाके में घोषित किया मॉर्शल ला
चीनी सरकार के इस फैसले के बाद म्यांमार की सैन्य सरकार ने इन फैक्ट्रियों वाले इलाके में मार्शल लॉ घोषित कर दिया है। म्यांमार के आम लोगों ने चीन के इस बयान की कड़ी निंदा की है। म्यांमार के लोगों में चीन के खिलाफ आक्रोश रोजाना बढ़ता जा रहा है।

सोशल मीडिया में म्यांमार के खिलाफ लोगों ने दिखाया गुस्सा
सोशल मीडिया पर दस लाख से अधिक लोगों ने चीन के बयान की निंदा की है। एक यूजर ने लिखा कि हम पूरी तरह से अपने हितों के लिए खड़े होकर चीनी दूतावास के बयान की कड़ी निंदा करते हैं। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोगों की जान जाने के बावजूद चीन सैन्य शासन की निंदा करने में विफल रहा है। ऐसे ही कई सारे यूजर्स ने सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ बातें लिखी हैं।

म्यांमार में अब तक 138 प्रदर्शनकारी जान गवां चुके हैं |

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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