नई दिल्ली (एजेंसी)। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे का समाधान करने के लिए अब विभिन्न किसान संगठनों के साथ अनौपचारिक वार्ता कर रही है। मंत्री ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि साल समाप्त होने से पहले कोई समाधान निकाल लिया जाएगा। इसके पहले केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए औपचारिक वार्ता का प्रयास किया गया पर गतिरोध बरकरार है।
यह पूछे जाने पर कि क्या किसानों का मुद्दा साल 2020 की समाप्ति से पहले सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा-हां, मुझे पूरी उम्मीद है, हर किसी का अपना एजेंडा है, मेरा एजेंडा किसान है, मुझे बताइए कि कृषि कानूनों का कौन सा प्रावधान किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है, हम चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने किसान संगठनों से कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने या वापस लेने पर जोर नहीं दें, इन्हें किसानों के फायदे के लिए लागू किया गया है। तीनों कृषि कानूनों को लाभकारी बताते हुए किसानों को गुमराह करने के लिए विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया। हजारों की संख्या में किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब एवं हरियाणा से हैं, दिल्ली की सीमाओं पर पिछले तीन हफ्ते से अधिक समय से नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
40 किसान संघों से बातचीत
तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ करीब 40 किसान संघों से बातचीत में केंद्र का नेतृत्व कर रहे हैं। गतिरोध को दूर करने के लिए तीनों केंद्रीय मंत्रियों और 40 किसान संघों के बीच कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता हुई है, लेकिन किसानों के संघ इन कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
समिति पर अदालत के आदेश का इंतजार:
यह पूछे जाने पर कि क्या उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की जाने वाली समिति वार्ता करेगी और समाधान निकालेगी या फिर सरकार अपनी कोशिशें जारी रखेगी। इस पर तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं और आगे के कदम के लिए शीर्ष न्यायालय के आदेश का इंतजार करेगी। उन्होंने कहा-यह विषय न्यायालय में विचाराधीन है, न्यायालय के आदेश के बाद, हम उसका अध्ययन करेंगे और कोई निर्णय लेंगे, हम न्यायालय के निर्देश का इंतजार करेंगे।
किसानों के कंधे से बंदूक चला रहे:
वास्तविक किसान नेताओं के साथ बातचीत करने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा-जब मैं वास्तविक कहता हूं तो मेरा मतलब उन लोगों से है जो सचमुच में किसानों के बारे में चिंतित हैं। उन लोगों से बात करने का कोई मतलब नहीं है जो किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर चलाना चाहते हैं।
एमएसपी जारी रहेगी:
तोमर ने कहा- हम लिखित में देंगे कि जिस तरह अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) की व्यवस्था जारी है, वह भविष्य में भी जारी रहेगी। इस बारे में किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। एमएसपी प्रणाली एक प्रशासनिक फैसला है और हर चीज के लिए कानून नहीं हो सकता है।
किसानों की आड़ में राजनीति न करें:
तोमर ने कहा कि विपक्षी राजनीतिक दलों को किसानों की आड़ में राजनीति नहीं करनी चाहिए। ये वही पार्टियां हैं जिन्होंने चुनावों के दौरान इन सुधारों का समर्थन किया था। उन्होंने कहा-साल 2019 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में सुधारों की बात की, पंजाब विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में भी कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने कृषि सुधारों की बात कही, लेकिन यही दल अब अपना रुख बदल रहे हैं।