नई दिल्ली:बिहार में हाईप्रोफाइल मर्डर के बाद सूबे के सीएम नीतीश कुमार न सिर्फ विपक्षी दलों के निशाने पर है,बल्कि साथी घटक बीजेपी ने भी सवाल खड़े कर दिये है। यहीं नहीं बिहार बीजेपी के विधायक नितिन नवीन ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए नीतीश कुमार को सुझाव भी दे दिया कि यदि अपराध को नियंत्रण करना है तो योगी मॉडल को अपनाना ही पड़ेगा।
सुशासन बाबू के कार्यशैली पर उठे सवाल
हालांकि नीतीश कुमार को यह सुझाव बीजेपी के अनेक सांसद और नेता भी दे चुके है जिस पर जदयू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जदयू प्रवक्ता संजय कुमार ने साफ किया कि बिहार में नीतीश मॉडल पिछले 15 साल से लागू है। जिसमें कानून का राज स्थापित करने में वे सफल रहे है। बिहार में नीतीश कुमार हमेशा से अपराध को लेकर सख्ती बरतने के पक्षधर रहे है। इसमें किसी को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिये।
बिहार में कानून की उड़ी धज्जियां
बिहार में सीएम नीतीश कुमार के पास ही गृह विभाग होने के कारण बीजेपी परोक्ष रुप से सीएम पर प्रहार करने से भी नहीं चूक रही है। यही नहीं सरकार के गठन के दो महीने बीत जाने के बाद भी मंत्रीमंडल के विस्तार नहीं होने से नीतीश बीजेपी से नाराज चल रहे है। नीतीश ने सार्वजनिक तौर पर भी इस पर अफसोस जताया है। बीजेपी और नीतीश के बीच बदले हुए सत्ता समीकरण के बाद शह-मात का खेल चल रहा है। जिसमें भले ही नीतीश राजनीतिक तौर पर कमजोर हुए हो लेकिन बीजेपी के सामने खुद को मजबूर भी नहीं दिखाना चाहते है।
जदयू ने किया नीतीश का बचाव
बिहार में बीजेपी और जदयू के बीच ताजातरीन रुपेश हत्याकांड को लेकर तल्खी बढ़ गई है। बीजेपी प्रेशर पॉलिटिक्स करके सीधे नीतीश पर प्रहार कर रही है तो जदयू नीतीश के बचाव में ढ़ाल बनकर तैयार खड़ी है। खैर जो भी हो बिहार में कानून व्यवस्था का लचर होना निश्चित रुप से नीतीश कुमार के सुशासन वाली छवि को धक्का पहुंचाया है। बदले हुए राजनीतिक समीकरण में एक बार फिर नीतीश कुमार को अपनी पकड़ बिहार में सिर्फ कैबिनेट और सहयोगी दलों पर नहीं बल्कि अपराध पर भी अंकुश लगाना होगा जिससे उनकी खोई हुई साख भी बहाल हो पाएगी।