प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को असम के शिवसागर में जेरेंगा पठार पहुंचे। वहां उन्होंने 1.06 लाख जमीन के पट्टों का वितरण किया। गौरतलब हो राज्य के स्थानीय लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने व्यापक नई भूमि नीति के साथ यहां के लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा पर नए सिरे से जोर दिया है। असम के इन लोगों के लिए पट्टा / आवंटन प्रमाणपत्र जारी करना और उनके बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। असम में 2016 में 5.75 लाख भूमिहीन परिवार थे। वर्तमान सरकार ने मई 2016 से 2.28 लाख आवंटन प्रमाण पत्र वितरित किए हैं। 23 जनवरी को सम्पन्न हुआ यह समारोह इस प्रक्रिया में अगला कदम है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान दस बड़ी बातें कहीं।
भूमि स्वामित्व का अधिकार मिलने से लोगों के जीवन की बहुत बड़ी चिंता अब दूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा “आज असम की हमारी सरकार ने आपके जीवन की बहुत बड़ी चिंता दूर करने का काम किया है। 1 लाख से ज्यादा मूल निवासी परिवारों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार मिलने से आपके जीवन की एक बहुत बड़ी चिंता अब दूर हो गई है। आज ही देश हम सबके प्रिय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती मना रहा है। देश ने अब तय किया है कि इस दिन की पहचान अब पराक्रम दिवस के रूप में होगी।”
असम में 6 लाख मूल निवासी परिवार जिनके पास ज़मीन के कानूनी कागज़ नहीं थे
पीएम मोदी ने कहा हम सभी एक ऐसी संस्कृति के ध्वजवाहक हैं, जहां हमारी धरती, हमारी जमीन सिर्फ घास, मिट्टी, पत्थर के रूप में नहीं देखी जाती। धरती हमारे लिए माता का रूप है। असम में जब हमारी सरकार बनी तो उस समय भी यहां करीब-करीब 6 लाख मूल निवासी परिवार जिनके पास ज़मीन के कानूनी कागज़ नहीं थे। पहले की सरकारों में आपकी ये चिंता, उनकी प्राथमिकता में ही नहीं थी। लेकिन सर्वानंद सोनोवाल जी के नेतृत्व में यहां की सरकार ने आपकी इस चिंता को दूर करने के लिए गंभीरता के साथ काम किया।
2019 में बनाई गई नई लैंड पॉलिसी से 70 छोटी-बड़ी जनजातियों को मिला सामाजिक संरक्षण
उन्होंने कहा “आज असम के मूल निवासियों की भाषा और संस्कृति की संरक्षण के साथ-साथ भूमि से जुड़े उनके अधिकारों को सुरक्षित करने पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। 2019 में जो नई लैंड पॉलिसी बनाई गई है, वो यहां की सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है। असम की लगभग 70 छोटी-बड़ी जनजातियों को सामाजिक संरक्षण देते हुए, उनका तेज़ विकास हमारी सरकार की प्रतिबद्धता रही है। अटल जी की सरकार हो या फिर बीते कुछ सालों से केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार, असम की संस्कृति और स्वाभिमान की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता रही है।”
असमिया भाषा और साहित्य को प्रोत्साहन देने के लिए भी अनेक कदम उठाए
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “असमिया भाषा और साहित्य को प्रोत्साहन देने के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं। इसी तरह हर समुदाय के महान व्यक्तित्वों को सम्मान देने का काम बीते सालों में यहां किया गया है। श्रीमंत शंकरदेव जी का दर्शन, उनकी शिक्षा असम के साथ-साथ संपूर्ण देश, पूरी मानवता के लिए बहुत अनमोल संपत्ति है। ऐसी धरोहर को बचाने और उसका प्रचार प्रसार करने के लिए कोशिश हो, ये हर सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए थी। लेकिन बाटाद्रवा सत्र सहित दूसरे सत्रों के साथ क्या बर्ताव किया गया, ये आपसे छिपा नहीं है। आत्मनिर्भर भारत के लिए नॉर्थ ईस्ट का तेज विकास, असम का तेज विकास आवश्यक है। आत्मनिर्भर असम का रास्ता असम के लोगों के आत्मविश्वास से होकर गुज़रता है।”
आज असम की करीब 35 लाख गरीब बहनों की रसोई में मिला उज्जवला का गैस कनेक्शन
पीएम ने कहा “आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती हैं और बाहर का इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है। बीते सालों में इन दोनों मोर्चों पर असम में अभूतपूर्व काम किया गया है। आज असम की करीब 35 लाख गरीब बहनों की रसोई में उज्जवला का गैस कनेक्शन है। इसमें भी लगभग 4 लाख परिवार SC/ST वर्ग के हैं। 2014 में जब हमारी सरकार केंद्र में बनी तब असम में LPG कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत ही थी। अब उज्जवला की वजह से असम में LPG कवरेज बढ़कर करीब-करीब 99% हो गई है।”
सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र पर चल रही सरकार
उन्होंने कहा “सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र पर चल रही हमारी सरकार असम के हर हिस्से में, हर वर्ग को तेजी से विकास का लाभ पहुंचाने में जुटी है। चाय जनजाति को घर और शौचालय जैसी मूल सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। चाय जनजाति के अनेक परिवारों को भी ज़मीन का कानूनी अधिकार मिला है। चाय जनजाति के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। पहली बार उनको बैंक की सुविधाओं से जोड़ा गया है।”
ऐतिहासिक बोडो समझौते पर बोले पीएम
ऐतिहासिक बोडो समझौते को लेकर पीएम मोदी ने कहा इस समझौते से अब असम का एक बहुत बड़ा हिस्सा शांति और विकास के मार्ग पर लौट आया है। समझौते के बाद हाल में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के पहले चुनाव हुए, प्रतिनिधि चुने गए। मुझे विश्वास है कि अब बोडो टेरिटोरियल काउंसिल विकास और विश्वास के नए प्रतिमान स्थापित करेगी।
हर ज़रूरी प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से हो रहा काम
पीएम ने जोर देते हुए कहा “आज हमारी सरकार असम की ज़रूरतों की पहचान करके, हर ज़रूरी प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से काम कर रही है। बीते 6 सालों से असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर का अभूतपूर्व विस्तार भी हो रहा है, आधुनिक भी हो रहा है। असम में जैसे-जैसे रेल और एयर ट्रांसपोर्ट दायरा बढ़ रहा है, लॉजिसिट्क्स से जुड़ी सुविधाएं बेहतर हो रही है, वैसे-वैसे यहां उद्योग और रोजगार की नई संभावनाएं बन रही हैं। लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट में आधुनिक टर्मिनल और कस्टम क्लीयरेंस सेंटर का निर्माण हो, कोकराझार में रुपसी एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण हो, बोंगईगांव में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब का निर्माण हो, ऐसी सुविधाओं से ही असम में औद्योगिक विकास को नया बल मिलने वाला है। आज जब देश गैस बेस्ड इकॉनॉमी की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो असम भी इस अभियान का एक साझीदार है। असम में तेल और गैस से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर बीते वर्षों में 40 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है।”
असम के युवाओं को आधुनिक शिक्षा के नए अवसर
पीएम मोदी ने कहा “असम अब स्वास्थ्य और शिक्षा के हब के रूप में भी विकसित हो रहा है। AIIMS और Indian Agricultural Research Institute जैसे संस्थान बनने से असम के युवाओं को आधुनिक शिक्षा के नए अवसर मिलने वाले हैं। पूरी दुनिया में भारत में बने टीके की डिमांड हो रही है। भारत में भी लाखों लोग अब तक टीका लगा चुके हैं। हमें टीका भी लगाना है और सावधानी भी जारी रखनी है।”