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Saturday, May 18, 2024

डॉक्टर रह गए हक्के-बक्के,कोरोना से ठीक हो रहे एक मरीज को वेंटिलेटर से हटाने के बाद उठने की बजाय कोमा में चला गया

कोरोना से ठीक हो रहे एक मरीज को वेंटिलेटर से हटाने के बाद डॉक्टर उस समय हक्के-बक्के रह गए जब वह शख्स उठने की बजाय कोमा में चला गया। मरीज की जांच के बाद डॉक्टरों के उसके दिमाग में कई जगह सूजन दिखी और छोटे-छोटे 400 खून के थक्के भी मिले। हालांकि, 7 दिनों तक इलाज के बाद मरीज दोबारा होश में आया।

इस स्थिति को दुनियाभर में कोविड एन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता है। कोरोना वायरस के आने से पहले इसे एक्यूट हैमरेज ल्यूकोएन्सेफलाइटिस के नाम से जाना जाता था। यह एक ऐसा दुर्लभ विकार है जो वायरल या बैक्टिरियल इन्फेक्शन के बाद होता है और इसकी वजह से मस्तिष्क-स्पाइन कॉर्ड में अचानक सूजन आ जाती है। यह नसों के माइलिन लेयर या मस्तिष्क के वाइट मैटर को नुकसान पहुंचाता है।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, भारत में कोविड एन्सेफलाइटिस का यह संभवतः पहला मामला है। 

जम्म के 55 वर्षीय शख्स मिथिलेश लबरू को कोविड-19 संक्रमण के बाद होम आइसोलेशन में रहने के लिए कहा गया था क्योंकि उनमें कोरोना के हल्के लक्षण दिख रहे थे। हालांकि, नवंबर महीने के शुरुआती दिनों में होम आइसोलेशन में रहने के 4 से 5 दिनों के अंदर ही उनकी स्थिति बिगड़ने लगी।

इसके बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ की वजह से जम्मू के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों को पता लगा कि उन्हें निमोनिया हो गया जिसके बाद मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।

इसके बाद दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों की टीम से संपर्क किया गया और मरीज की खराब हालत के बारे में बताया गया। मरीज को डायबिटिज और हाइपरटेंशन जैसी अन्य समस्याएं भी थी। 

फिर दिल्ली के डॉक्टरों की टीम जम्मू पहुंची और मरीज की स्थिति को स्थिर करने की कोशिश की। हालांकि, दो-तीन दिन की मेहनत के बाद मरीज को एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाना पड़ा।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में मरीज को कोविड आईसीयू में डॉक्टर राजेश चावला कि निगरानी में रखा गया। डॉक्टर चावला के मुताबिक, ‘मरीज के ठीक होने के बाद उसे वेंटिलेटर से हटाया गया लेकिन वह इससे कोमा में चला गया।’

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोसाइंस विभाग में सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर विनीत सूरी ने बताया, ‘आमतौर पर जब कोविड से ठीक हो रहे मरीजों को वेंटिलेटर से हटाया जाता है तो वे कुछ घंटों के अंदर होश में आ जाते हैं लेकिन इस मरीज के साथ ऐसा नहीं है। मरीज के एमआरआई से हमें पता लगा कि उसके दिमाग में कई जगह सूजन है और 400 से ज्यादा छोटे-छोटे खून के थक्के बन गए हैं।’

इम्यून थेरेपी और स्टेरॉइड के जरिए डॉक्टर सात दिनों की मेहनत के बाद मरीज को दोबारा होश में ले आए। मरीज को अभी भी कमजोरी है। डॉक्टर सूरी ने बताया कि एमआरआई से पता लगा है कि मरीज 50 प्रतिशत से ज्यादा ठीक हो चुका है और उसे 26 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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