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Friday, May 10, 2024

क्यों अचानक नेपाल और पाकिस्तान पहुंचे चीन के रक्षा मंत्री? भारत के खिलाफ ड्रैगन की साजिश

हाल ही में चीन के रक्षामंत्री नेपाल और पाकिस्तान पहुंचे और इस्लामाबाद में एक डिफेंस अग्रीमेंट भी किया। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर मई से भारत के साथ टकराव और आक्रामकता में जुटे चीन के रक्षामंत्री भारत के दो पड़ोसी देशों के दौरे क्यों आए? क्या यह किसी देश का दूसरे देशों के साथ सामान्य कूटनीतिक संबंध बढ़ाने का प्रयास है? या दौरे के पीछे ड्रैगन का मकसद कुछ और है? विदेश मामलों के जानकार और पूर्व भारतीय कूटनीतिज्ञों ने बुधवार को बताया कि चीनी रक्षामंत्री का यह दौरा भारत के खिलाफ प्लान किया गया था। 

चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे सबसे पहले रविवार को काठमांडू पहुंचे और नेपाली नेतृत्व से कहा कि चीन उनकी सुरक्षा, देश की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मजबूती से समर्थन करता है। वेई इसके बाद पाकिस्तान पहुंचे जहां उन्होंने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए मेमोरेंडम ऑफ कोऑपरेशन पर साइन किया। वेई ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा से मुलाकात की और क्षेत्री सुरक्षा पर चर्चा करते हुए चाइना-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) की रक्षा के लिए पाकिस्तानी प्रयासों की सराहना की। बाजवा ने भी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय फोरम में पाकिस्तान के समर्थन के लिए चीन का आभार जताया। 

विशेषज्ञ और पूर्व कूटनीतिज्ञ मानते हैं कि चीन ने ये कदम भारत को नजर में रखकर उठाए हैं, जो महीनों से सीमा पर तनाव बनाए हुए है। पिछले 8 महीनों से दोनों देशों में तनातनी है और 8 दौर की बातचीत के बाद भी जमीन पर कुछ बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। 

पड़ोसी देशों में घटनाक्रम पर नजर रखने वाले पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश ने कहा कि वेई का नेपाल दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब सीमा विवाद के बाद काठमांडू और नई दिल्ली के रिश्ते सामान्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ”चीन पाकिस्तान और नेपाल को जह जताना चाहता है कि अभी भी उनके साथ है और यह भारत के लिए भी संदेश है।”

विशेषज्ञों का कहना है कि वेई का यह बयान कि क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में चीन नेपाल की मदद करेगा, भारत-नेपाल सीमा विवाद को ध्यान में रखकर कहा गया है। खासकर तब जब दोनों देश विवाद सुलझाने के प्रयास कर रहे हैं। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली की पार्टी में फूट को के संदर्भ में प्रकाश ने कहा, ”नेपाल के कुछ अच्छे दौरे हुए हैं, जिनमें भारतीय सेना प्रमुख और विदेश सचिव का जाना शामिल है और रिश्ते सुधार की ओर हैं। चीन नेपाल को बीजिंग की प्राथमिकताओं और इसके दायरे में रखना चाहता है। वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी को भी एकजुट रखना चाहते हैं।” चीन की राजदूत ने पीएम ओली और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए कई बार सार्वजनिक रूप से दखल दिया है। 

इंटरनेशनल सिक्यॉरिटी स्टडीज के फेलो समीर पाटिल ने हाल के महीनों में म्यामांर, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसियों तक पहुंच और कई बड़े प्रॉजेक्ट्स शुरू करने के कदम की ओर इशारा करते हुए कहा कि वेई का काठमांडू और इस्लामाबाद का दौरा इसकी काट निकालने के लिए है। पाटिल ने कहा, ”ऐसे समय में जब चीन कोविड-19 को शुरुआती चरणों में रोकने में नाकामी को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहा है, वह संदेश देना चाहता है कि उसने भारत के पड़ोस में जगह नहीं छोड़ी है। चीन सीनियर मंत्रियों को नहीं भेज सकता था, इसलिए उसने जनरल को भेजा है। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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