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Friday, May 10, 2024

कोरोना की वजह से टीवी के संक्रमण का खतरा बढ़ा

भारत में कोरोना के मामले भी घट रहे हैं और वैक्सीन को भी मंजूरी मिल गई है। हम भले ही COVID-19 को मात देने की कगार पर हैं, लेकिन इस महामारी ने जनजीवन को काफी प्रभावित किया है। देश में कई बीमारियों के खिलाफ जारी लड़ाई पर भी इसका असर हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ वैज्ञानिक और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि 2025 तक भारत में जीवाणु संक्रमण को खत्म करने के अपने लक्ष्य को खोने के साथ दुनिया भर में तपेदिक (TB) के दस लाख मामलों की वृद्धि हो सकती है।

टीबी दुनिया भर में हर साल लगभग एक करोड़ लोगों को प्रभावित करता है। करीब 14 लाख लोगों की तो इससे मौत हो जती है। डॉ. स्वामीनाथन ने हाल ही में संपन्न भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दौरान कहा, ‘इस महामारी ने टीबी प्रोगाम को वैश्विक स्तर पर प्रभावित किया है। जेनेक्स पर्ट मशीन (जिसे आरटी पीसीआर परीक्षण करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है) और मेडिकल स्टाफ को कोरोना प्रबंधन में लगाया जा रहा है। लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों से जीडीपी में गिरावट आई, जिसका असर पोषण पर भी पड़ सकता है। इस कारण एक साल में टीबी के के करीब मरीजों की संख्या में दस लाख का इजाफा हो सकता है।’

उन्होंने कहा, “टीबी अधिसूचना में महामारी के दौरान 50 से 60% तक गिरावट देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में मामला बढ़ सकते हैं।” 

आपको बता दें कि भारत में 2019 में टीबी के 26 लाख 90 हजार मामले साएने आए थे। यह वैश्विक आंकड़े का करीब 26% है।  भारत ने 2025 तक प्रति 1,00,000 लोगों पर एक से कम टीबी मामलों का लक्ष्य रखा था। उन्होंने कहा, “महामारी ने निश्चित रूप से 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए भारत के लक्ष्य को प्रभावित किया है।”

हालांकि, महामारी ने कई सबक दी है। साथ ही प्राइवेट सेक्टर से सहयोग मिला है। इससे देश से जीवाणु संक्रमण को खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करने के लिए समाधान खोजने में मदद मिल सकती है।

उन्होंने कहा, “कोरोना की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत सारे खोज किए गए। इनमें से कुछ का उपयोग टीबी के लिए किया जा सकता है। टेस्टिंग को बढ़ाने के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग के पालन और टीका परीक्षण के लिए केंद्रों का निर्माण। प्राइवेट सेक्टर भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। ये सभी टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को पटरी पर लाने में भारत की मदद कर सकते हैं।”

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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