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Saturday, May 18, 2024

कोरोना काल में फीस जमा करने की चुनौती देख ,बलिया के छात्र ने 500 छात्रों के एक सेमेस्टर की पूरी फीस करवाई माफ़

कोरोना काल में जब अपने सहपाठियों के सामने विश्वविद्यालय की फीस जमा करने की चुनौती देखी तो उसी संस्थान में पढ़ने वाले बलिया के छात्र अनुराग तिवारी ने संघर्ष का रास्ता अख्तियार कर लिया। कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। लॉ का छात्र होने के चलते खुद ही अपनी पैरवी भी की। इसमें उसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया व सिविल सोसाइटी का भी साथ मिला और अंतत: विश्वविद्यालय के करीब 500 छात्रों के एक सेमेस्टर की जून से नवम्बर तक की पूरी फीस (प्रति छात्र करीब 50 से 55 हजार रुपये) माफ कराने में सफलता हासिल की।

मूलरूप से बलिया जिला के बैरिया क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव निवासी अनुराग ने 10वीं व 12वीं की पढ़ाई जमशेदपुर में करने के बाद क्लैट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के जरिए वर्ष 2017 में नेशनन लॉ यूनिवर्सिटी विशाखापत्तनम में प्रवेश लिया। फिलहाल वह सातवें सेमेस्टर में हैं। अनुराग के अनुसार कोरोना काल में तमाम अभिभावकों की नौकरी चली गयी, कारोबार ठप पड़ गया। ऐसे में बहुत से छात्रों के सामने फीस जमा करने का संकट खड़ा हो गया। लॉ का छात्र होने के नाते हमने इसके लिए कानूनी लड़ाई का मन बनाया। मई 2020 में अनुराग ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल की।

इसके लिए उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया का भी सहयोग लिया। अनुराग ने कोर्ट में अपनी दलील खुद रखते हुए बताया कि चूंकि विश्वविद्यालय ऑनलाइन क्लास ही ले रहा है, लिहाजा ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य कोई शुल्क मसलन लाइब्रेरी फीस, हॉस्टल, कम्प्यूटर फीस, बिजली, खेलकूद आदि के मद में कोई शुल्क नहीं ले सकता। अनुराग के अनुसार हमारी दलीलों को सही ठहराते हुए न्यायालय ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संबंध में वार्ता कर हल निकालने का आदेश दिया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और नेशनल ला यूनिवर्सिटी में अनुराग ने कई बार अपना पक्ष रखा। आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ने तकरीबन 500 छात्रों के ढाई करोड़ रुपये माफ करने की घोषणा की।

सहपाठी की मां की बातों से मिला संकल्प
अनुराग बताते हैं, कोरोना काल के दौरान ट्राइबल एरिया में रहने वाले उसके एक सहपाठी व उसकी मां ने फोन पर हमसे बातचीत में फीस जमा करने में आने वाली दिक्कतों का जिक्र किया। मां किसी प्रकार लोन लेकर बेटे को पढ़ा रही थीं। अनुराग के अनुसार, मां ने जब यह कहा कि ‘इसकी पढ़ाई के लिए जान दे दूं क्या?’ तो बात दिल पर लग गई। इसके बाद लड़ाई की ठान ली। कहा कि हार-जीत को लेकर कोई चिंता ही नहीं थी।

सभी 20 विवि में फीस माफी का हुआ आदेश
अनुराग के अनुसार हमारी लड़ाई का असर यह हुआ कि यूजीसी ने देश के सभी बीसों नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में फीस माफ करने का निर्देश जारी किया। अनुराग के अनुसार, यही नहीं, अन्य सभी विश्वविद्यालयों को भी ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई फीस नहीं लेने का निर्देश है। अनुराग ने यहां तक कहा कि यदि कोई विश्वविद्यालय अन्य फीस भी वसूल रहा है, तो मेरी जानकारी में आने पर हम इसके खिलाफ भी यूजीसी में शिकायत करेंगे।

पीएम मेरिट स्कॉलरशिप भी की हासिल
अनुराग के पिता नरेन्द्र तिवारी सेना में हैं। इस समय वे जमशेदपुर में हैं। सेना की नौकरी करने वाले जवानों के पुत्र-पुत्रियों के लिए पीएम मेरिट स्कॉलरशिप भी सरकार देती है। अनुराग ने इसे भी हासिल किया है। इसमें पांच लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था। यही नहीं, पिछले तीन वर्षों से अपने विषय में विश्वविद्यालय का गोल्ड मेडल हासिल कर चुके अनुराग कई अन्य प्रतियोगिताओं के भी विजेता रहे हैं। अनुराग देश के वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद के साथ इंटर्नशिप कर चुके हैं, जबकि यूएन में भी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में हिस्सा ले चुके हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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