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Sunday, May 19, 2024

एमएसपी पर गेहूं के साथ धान की खरीद पहुंची अब तक के उच्चतम स्तर पर

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण जब हर व्यवस्था डांवाडोल हो गई, उसी बीच भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। इसी का नतीजा है कि गेहूं के साथ-साथ धान की खरीद अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। सरकार कोशिश कर रही है कि महामारी में किसानों को ज्यादा से ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद कर फायदा पहुंचाया जाए।

गेहूं की खरीद हुई अब तक की सर्वाधिक

पिछले सत्रों की तरह ही वर्तमान रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए गेहूं की खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्यों में सुचारू रूप से जारी है। 4 जून 2021 तक 413.91 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। यह अब तक की खरीद का सबसे उच्चतम स्तर है, क्योंकि इसने रबी मार्केटिंग सीजन (आरएमएस) 2020-21 के पिछले उच्च स्तर 389.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद के आंकड़े को पार कर लिया है। आपको बता दें, पिछले साल इसी समान अवधि में 368.45 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था। दूसरे शब्दों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इस वर्ष 12.33 प्रतिशत अधिक गेहूं की खरीद की गई। अभी तक लगभग 45.06 लाख किसान मौजूदा रबी विपणन सत्र में एमएसपी मूल्यों पर हुई खरीद का फायदा ले चुके हैं। उन सभी किसानों को अब तक कुल 81,747.81 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

धान की खरीद भी बढ़ी

वर्तमान खरीफ 2020-21 में धान की खरीद भी इसकी बिक्री वाले राज्यों में सुचारू रूप से जारी है। 04 जून 2021 तक 805.21 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदा जा चुका है। आपको बता दें, इसमें खरीफ फसल का 706.93 लाख मीट्रिक टन और रबी फसल का 98.28 लाख मीट्रिक टन धान शामिल है। वहीं पिछले वर्ष की इसी समान अवधि में 732.40 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया था। मौजूदा खरीफ विपणन सत्र में लगभग 119.42 लाख किसानों को पहले ही एमएसपी मूल्य पर 1,52,022.37 करोड़ रुपये का भुगतान करके खरीद कार्य से लाभान्वित किया जा चुका है। धान की खरीद भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है और इसने खरीफ विपणन सत्र 2019-20 के पिछले उच्च स्तर 773.45 लाख मीट्रिक टन के आंकड़े को पार कर लिया है।

राज्यों के प्रस्तावों को दी गई मंजूरी

इसके अलावा, प्रदेशों से मिले प्रस्ताव के आधार पर तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से खरीफ विपणन सत्र 2020-21 एवं रबी विपणन सत्र 2021 तथा ग्रीष्म सत्र 2021 के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 107.81 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की गई थी। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों से 1.74 लाख मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) को क्रय करने के लिए भी स्वीकृति दी गई है।गौरतलब है, अधिसूचित फसल अवधि के दौरान संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाजार की दरें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चली जाती हैं, तो राज्य द्वारा नामित खरीद एजेंसियों के माध्यम से केंद्रीय नोडल एजेंसियां, इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत दलहन, तिलहन और खोपरा फसल की खरीद के प्रस्तावों पर मंजूरी देंगी। इससे फायदा यह होगा कि पंजीकृत किसानों से वर्ष 2020-21 के लिए अधिसूचित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे इन फसलों के खरीद की जा सके। ये फसलें फेयर एवरेज क्वालिटी (एफएक्यू) ग्रेड की होनी चाहिए।

दलहन और तिलहन की इतनी हुई खरीद

खरीफ 2020-21 और रबी 2021 के तहत 4 जून 2021 तक सरकार द्वारा नोडल एजेंसियों के माध्यम से 7,51,279.59 मीट्रिक टन मूंग, उड़द, तुअर, चना, मसूर, मूंगफली की फली, सरसों के बीज और सोयाबीन की खरीद एमएसपी मूल्यों पर की गई है। इस खरीद से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और राजस्थान के 4,43,412 किसानों को 3,928.50 करोड़ रुपये की आय हुई है।

बारहमासी फसल की हुई इतनी खरीद

फसल सत्र 2020-21 के दौरान 5,089 मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) की खरीद कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से की गई है। इसके लिए 3,961 किसानों को लाभान्वित करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 52 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। आपको बता दे, विपणन सत्र 2021-22 के लिए तमिलनाडु से 51,000 मीट्रिक टन खोपरा को खरीदने की मंजूरी दी गई है। इन फसलों का राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से खरीद कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा।

संबंधित राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें दलहन और तिलहन की आवक के आधार पर संबंधित राज्यों द्वारा तय की गई तारीख से खरीद शुरू करने के लिए उचित आवश्यक व्यवस्था कर रही हैं।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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