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Saturday, May 18, 2024

अमेरिका ने भारत के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया और कहा -वे मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत करते है

भारत में कृषि कानूनों पर सड़क से लेकर संसद तक संग्राम जारी है। किसान संगठन भले ही मोदी सरकार को घेर रहे हों, मगर अमेरिका ने इसका समर्थन किया है। अमेरिका ने बुधवार (स्थानीय समय) को भारत के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया और कहा कि वह मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत करता है, इससे भारत के बाजारों का प्रभाव बढ़ेगा। अमेरिका ने कहा यह उन कदमों का स्वागत करता है, जो भारतीय बाजारों की ‘दक्षता में सुधार’ करेंगे और निजी क्षेत्र के अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे।

भारत में चल रहे कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलनों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि वाशिंगटन यह मानता है कि शांतिपूर्ण विरोध किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान है। साथ ही यह भी कहा कि पार्टियों के बीच मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए

प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान है और यहां ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है।’ प्रवक्ता ने कहा कि हम प्रोत्साहित करते हैं कि पार्टियों के बीच किसी भी तरह के मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाएगा। सामान्‍य तौर पर अमेरिका भारतीय बाजारों की कार्यकुशलता को सुधारने और बड़े पैमाने पर निजी सेक्‍टर के निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदमों का स्‍वागत करता है। 

दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 26 नवंबर से किसान प्रदर्शऩ कर रहे हैं। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान  ट्रेक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसके बाद कई जगहों पर इंटरनेट सेवा को बाधित किया गया। बता दें कि कृषि कानून पर सहमति को लेकर किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, मगर सभी बेनतीजा रहे। 22 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ 11वें दौर की वार्ता के दौरान सरकार ने नए कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और अधिनियमों पर चर्चा के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने का भी प्रस्ताव रखा। मगर किसान तब भी नहीं माने।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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