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Saturday, October 5, 2024

मास्क लगाने और सामाजिक दूरी के नियम संबंधी कोविड-19 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन होने पर हम चिंतित हैं।: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बगैर मास्क के पकड़े जा रहे लोगों को कोरोना मरीजों के सुविधा केन्द्रों में सामुदायिक सेवा के लिए भेजने के गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर गुरुवार को रोक लगा दी है। कोर्ट ने मास्क लगाने और सामाजिक दूरी संबंधी दिशानिर्देशों के सख्ती से क्रियान्वयन को लेकर केंद्र और पक्षकारों से सुझाव देने को कहा। कोर्ट ने कहा है कि मास्क लगाने और सामाजिक दूरी के नियम संबंधी कोविड-19 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन होने पर हम चिंतित हैं।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि राज्य को अनिवार्य रूप से मास्क पहनने के लिए केंद्र द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को सख्ती से लागू करना चाहिए और कोविड 19 के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए। पीठ ने कहा कि जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं, वे अन्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों (जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार) का उल्लंघन कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि हमने यह देखा है कि राज्य में लोग हजारों की संख्या में एकत्रित हो रहे थे और ऐसी सभाओं को रोकने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। 

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुजरात सरकार की इस दलील का संज्ञान लिया कि हाईकोर्ट का आदेश बहुत सख्त है और इससे, उल्लंघनकर्ताओं की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की कि कोविड-19 के निर्देशों का राज्य में सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। न्यायालय ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने संबंधी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन हो।

पीठ ने राज्य में पुलिस और दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों को भी आदेश दिया कि इन दिशा निर्देशों पर सख्ती से अमल सुनिश्चित किया जाए और इनका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। शीर्ष अदालत इस संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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