अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए धन संग्रह का अभियान मकर संक्रांति (14 जनवरी) से शुरू होगा। चार लाख से अधिक स्वयंसेवक मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए करीब 12 करोड़ परिवारों तक पहुंचेंगे। ये स्वयंसेवक लोगों को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराएंगे। लोगों से स्वयं सहयोग की अपील की जाएगी। जनसंपर्क अभियान माघ पूर्णिमा तक चलेगा। वहीं काम शुरू होने पर 36 महीने में मंदिर के शिखर पर पताका फहराने लगेगी।
यह जानकारी विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष तथा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरी तरह जनता के सहयोग से बनेगा। मंदिर के लिए लाखों लोगों ने अपना जीवन दिया है अब करोड़ों लोग योगदान देंगे। अभियान के तहत स्वयंसेवक पांच लाख से अधिक गांवो में घर-घर पहुंचेगे और करीब 60 करोड़ लोगों से उनका संपर्क होगा।
काम शुरू होने पर 36 माह में शिखर पर फहराएगी पताका
चंपत राय ने बताया कि निर्माण कार्य शुरू होने पर 36 महीने में मंदिर के शिखर पर पताखा फहराने लगेगा। बारिश से पहले नींव का काम पूरा करने की तैयारी है। मंदिर जिस स्थान पर बनना है वहां 60 मीटर तक नीचे लूज बाल है। नींव को भूकंपरोधी बनाना है। ऐसी मजबूत नींव बने जिसका जीवन कम से कम 1000 वर्ष हो। इस नींव पर करीब 45 टन प्रति स्कवायर मीटर का लोड पत्थरों का होगा। नदी के प्रवाह को रोकने के लिए रीटेनिंग वॉल भी बनाया जाएगा। नींव भी पत्थरों के ब्लाक से से ही बनेगा।
सहयोग के लिए कूपन और रसीदें
उन्होंने बताया है कि सहयोग के लिए दस, सौ और एक हजार रुपये के कूपन छपवाए गए हैं। रसीद भी छपवाए जाएंगे। 10 रुपये के चार करोड़, 100 रुपये के आठ करोड़ और 1000 रुपये के 15 लाख कूपन होंगे। इसके अलावा 15 लाख रसीदें भी होंगी। कूपन के माध्यम से हर घर में श्रीराम मंदिर का चित्र पहुंच जाएगा। कूपन पोस्टकार्ड साइज का है।
सीएसआर से नहीं उद्योपति व्यक्तिगत खाते से दे सकते हैं सहयोग
उन्होंने बताया कि विदेशी मुद्रा में दान लेने में कानून का पूरा पालन किया जाएगा। कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिल्टी (सीएसआर) के माध्यम से मंदिर के लिए कोई धनराशि नहीं ली जाएगी। यदि कोई उद्योगपति मंदिर निर्माण में सहयोग करना चाहता है तो वह वह अपने निजी बैंक खाते से दे। अभियान के तहत स्वयंसेवक प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा अन्य नेताओं के पास भी जाएंगे। व्यक्तिगत खातों से सहयोग लिया जाएगा।
मंदिर निर्माण के लिए आ चुके हैं 80 करोड़ रुपये
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिक्र किया जिन्होंने अपने निजी खाते से 11 लाख रुपये का चेक दिया था। यह भी बताया कि मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार ने अपने बजट से एक रुपये का बजट दिया है। पटना हनुमान मंदिर के कुणाल किशोर द्वारा दो करोड़ रुपये तथा शिवसेना मुंबई द्वारा एक करोड़ रुपये का चेक मंदिर निर्माण के लिए दिए जाने की बातें भी बताई। मंदिर निर्माण के खाते में प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये ट्रांजेक्शन प्रतिदिन आ रहे हैं। करीब 80 करोड़ रुपये सहयोग के रूप में आ चुके हैं।
चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा मंदिर निर्माण में
राम मंदिर की लंबाई 360 मीटर तथा चौड़ाई 234 मीटर होगी। तीन मंजिला होगा मंदिर। हर मंजिल 20 फीट की होगी। भूतल से प्लिंथ तक की उंचाई 16.5 फीट होगी। परकोटा (सुरक्षा दीवार) पांच एकड़ में बनेगा। पूरा मंदिर पत्थर से ही बनेगा। मंदिर के निर्माण में पूरे चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा। 75 हजार क्यूबिक फीट पत्थर को कार्बिन करके रखा गया है। मंदिर के निर्माण में एलएंडटी का सहयोग टाटा कंसल्टेंसी कर रही है। दोनों विश्स्तरीय संस्थाएं हैं। विहिप के अवैतनिक इंजीनियरों के साथ ही आईआईटी मुंबई, दिल्ली, चेन्नई व गुवाहाटी के विशेषज्ञ भी लगे हैं। आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक वीएस राजू फाउंडेशन की टेक्नीकल टीम को लीड कर रहे हैं।
मंदिर निर्माण स्थल पर पहले बहती थी नदी
इसरो ने मंदिर निर्माण के स्थल का मानचित्र भेजा है। जिसमें निर्माण स्थल पर पूर्व में सरयू नदी का प्रवाह बताया गया है। 2000 साल में नदी ने चार बार अपना प्रवाह बदला है।