कोरोना के समय में जब हर व्यक्ति डरा हुआ है अपने परिवार के व्यक्तियों में कोरोना होने पर उसका साथ छोड़ दे रहे हैं। ऐसे लोगो जिन्हें कोरोना के कारण अपने परिवार रिस्तेदारो ने अलग कर दिया या पहले से अकेले थे या अति वृद्ध थे उन सभी के लिए संघ के स्वयंसेवक सेवा भारती के साथ मिलकर उनकी बीमार रहने पर दवा, भोजन उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था तथा अन्य समस्याओं में उनके साथ खड़े हैं कई बार अस्पताल प्रशासन तथा पुलिस से लड़कर उन्हें उचित मेडिकल व्यवस्था और सहायक दिलाने में मदद करते हैं। यह बात यहीं तक नहीं खत्म होती संघ के स्वयंसेवक जब व्यक्ति कोरोना की वजह से देह त्याग कर देता है उस समय भी जब कई बार व्यक्ति का परिवार उनके अंतिम संस्कार में साथ नहीं जाता तो संघ के स्वयंसेवक उनकी अंतिम यात्रा में भी उनका साथ देते है।
एक घटना का वर्णन करना चाहूंगा, यह घटना मीठापुर नगर के गगन विहार की है यहां पर एक बुजुर्ग परिवार अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था भाषा की विविधता के कारण उनका स्थानीय स्तर पर कोई संपर्क नहीं था। इनकी तबीयत कोरोना के कारण बहुत खराब हो गई। यह बात स्थानीय स्वयंसेवको को पता चला तो उन्हें कार में लेकर कई अस्पतालों में प्रयास किया पर एडमिशन नही मिला। उन्होंने 9 बजे अंतिम सांस ली। इसके बाद पुलिस को फोन किया गया पर कोई कार्यवाही नही हुई। एम्बुलेंस को भी बुलाया गया तो उसने मनमानी पैसे मांगे। बाद में स्वयंसेवको ने उन्हें सेक्टर 37 फरीदाबाद के समसान घाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया। उनके परिवार या रिस्तेदार में कोई साथ नही था। थे तो केवल स्वयंसेवक।
कालिन्दीकुंज नगर में रहने वाले पवन जी का परिवार मोबाइल के व्यवसाय में है कोरोना के संक्रमण ने पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले लिया कोरोना के चलते पवन जी की मृत्यु अस्पताल में हो गई और अस्पताल के अधिक खर्चों के कारण उनके परिवार के पास इतना भी राशि नहीं रही कि वह उनका अंतिम संस्कार कर पाते और खुद पूरा परिवार होम क्वारंटाइन होने की वजह से लाश काफी समय तक अंतिम संस्कार से वंचित रही इस विषय पर वहां के स्थानीय स्वयंसेवकों ने संज्ञान में लिया और राशि इकट्ठा कर शमशान घाट पर गए, वहां पर पवन जी का अंतिम संस्कार कराया।
स्वयंसेवक उनके परिवारो से नियमित संपर्क में है।
यह शिलशिला यही नही खत्म होता है, बदरपुर जिले के प्रत्येक नगरों की तरह सौरभ विहार ने एक टोली बनाई है जो ऐसे लोग जिनकी कोरोना के कारण मृत्यु हो जाती है और परिवार या रिस्तेदार कोरोना के डर से अंतिम संस्कार में साथ नही आते तो संघ के स्वयंसेवक अंतिम क्रिया तक उनका साथ नही छोड़ते।
जब कई लोग और मीडिया सरकार, व्यवस्था को कोसने में लगे है तो उसी बीच में संघ के स्वयंसेवक सभी सावधानियों का पालन करते हुए समाज मे न केवल सकारत्मकता का भाव जगा रहे है बल्कि उन्हें इस समस्या से बाहर निकालने का हर सम्भव प्रयास कर रहे है।