उत्तर प्रदेश के महोबा में 30 फीट गहरे बोरवेल में गिरे चार साल के मासूम बच्चे को 20 घंटे बाद गुरुवार सुबह रेस्क्यू कर बाहर निकाल लिया गया। बपूरी रात एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व प्रशासन की टीमें रेस्क्यू अभियान में लगी रहीं। गुरुवार सुबह करीब 8:00 बजे मासूम को बोरवेल से निकालकर उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में इलाज को चिकित्सकों की विशेष टीम लगाई गई है। इस ऑपरेशन के लिए सेना को बुलाने की तैयारी थी लेकिन उससे पहले ही बच्चे को निकाल लिया गया।
बुधौरा गांव निवासी भागीरथ कुशवाहा के खेत में खुले बोरवेल में उसका चार साल का बच्चा धनेंद्र उर्फ बाबू बुधवार को खेलते-खेलते गिर गया था। जानकारी मिलते ही प्रशासन ने रेस्क्यू शुरू कराया। शासन तक मामला पहुंचने के बाद लखनऊ से 20 सदस्यीय एसडीआरएफ टीम देर रात को गांव पहुंची, उसके बाद पहुंची एनडीआरएफ की टीमों मिलकर रेस्क्यू शुरू किया। दोनों के संयुक्त रेस्क्यू में मासूम को निकाला करीब 20 घंटे के बाद गुरुवार सुबह निकाल लिया गया।
बताया जा रहा है कि भागीरथ कुशवाहा का घर से आधा किलोमीटर दूरी पर खेत है। भागीरथ की पत्नी क्रांति देवी छोटी बेटी नित्या (3) के साथ सुबह अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए महोबा आ गई थीं। इसलिए भागीरथ कुशवाहा चार साल के बेटे बाबू और छह साल की बेटी रेखा को साथ लेकर खेत में काम करने गया था।
भागीरथ ने पुलिस को बताया कि वह खेत में सिंचाई कर रहा था। दोनों बच्चे खेत में बनी मेड पर लगे नीम के पेड़ पास खेल रहे थे। दोपहर करीब एक बजे खेलने के दौरान खेत में ही खुले पड़े बोरवेल के करीब 30 फीट गहरे गड्डे में धनेंद्र जा गिरा।
काफी देर तक धनेंद्र गड्ढे से बाहर नहीं निकला तो रेखा ने उन्हें सूचना दी। वह गड्ढे के पास पहुंचे तो धनेंद्र के रोने की आवाज आ रही थी। उन्होंने फौरन घटना की सूचना पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही गांव वालों को दी। इसके बाद धनेंद्र की जान बचाने का काम शुरू हुआ।
किसान ने सिंचाई के लिए खुदवाया था गड्ढा
किसान भागीरथ कुशवाहा ने खेत में सिंचाई के लिए जुलाई माह में बोरवेल का गड्ढा खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं निकला। इसके बाद किसान ने गड्ढा बंद नहीं कराया था। उसे एक पत्थर से ढक दिया था। अफसर अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि बच्चों के खेलने के बाद गड्ढे के ऊपर से पत्थर हट गया था अथवा पहले से हटा हुआ था।