भारत के पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) में जिसका डर था वही हुआ है, सेना ने चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करते हुए देश में एक साल के लिए सेना का शासन (Military Rule) लागू कर दिया है। म्यांमार मिलिट्री टीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में एक साल के लिए सेना का शासन लगाया जाता है। म्यांमार में मिलिट्री ने देश की सबसे बड़ी नेता और सत्ताधारी पार्टी की मुखिया आंग सान सू के साथ राष्ट्रपति को भी हिरासत में ले लिया है। इसके साथ ही देश में किसी भी विरोध को रोकने के लिए सेना ने इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं बंद कर दी हैं। वहीं, किसी भी हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने देश की जनता से शांति बरतने की अपील की है।
कई बड़े नेता घर में नजरबंद किए गये
न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस के मुताबिक, सेना ने टीवी के जरिए देश में मिलिट्री शासन लागू करने का एलान कर दिया है। इसके साथ ही देश की सबसे बड़ी नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू (Aung San Suu Kyi) को उनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया है। आंग सान सू के साथ ही उनकी पार्टी के कई और बड़े नेताओं को भी या तो हिरासत में ले लिया गया है या फिर नजरबंद कर दिया गया है। हालांकि सेना ने पहले तख्तापलट की खबरों से इनकार किया था मगर पिछले दो महीने के दौरान म्यांमार ंमें जो हालात बन गये थे उसे देखकर आशंका यही लगाई जा रही थी कि सेना कभी भी देश की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से हटाकर देश में मिलिट्री राज कामय कर सकती है। और आज सुबह सुबह सेना ने म्यांमार में एक साल के लिए सेना का शासन लगाने की घोषणा कर दी है।
म्यामांर की राजनीति
म्यांमार भारत का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच काफी गहरे संबंध हैं। भारत लगातार म्यांमार की मदद करता रहता है। पीएम मोदी खुद म्यांमार की सबसे प्रमुख नेता आंग सान सू से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। वहीं, इस बार भी चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने 75 साल की आंग सान सू को बधाई दी थी। आंग सान सू की नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेटिक पार्टी को 476 सीटों में से 396 सीटों पर जीत मिली थी। जिसके बाद से ही सेना चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगा रही थी। हालांकि सत्ताधारी पार्टी का बार बार कहना था कि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुए हैं और कोई भी गड़बड़ी नहीं की गई है।
अमेरिका ने कार्रवाई की धमकी दी
वहीं, म्यांमार हुए तख्तापलट पर भारत समेत अमेरिका की भी नजर है। अमेरिका ने लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल करने को लेकर चिंता जाहिर की है। वहीं, अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को म्यांमार की हालातों से वाकिफ करवाया है। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को हटाने और चुनावी परिणाम बदलने वाली ताकतों का विरोध करता है। सेना ने म्यांंमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चोट पहुंचाई गई है। हम तमाम स्थिति पर बारिकी से नजर रख रहे हैं और सत्ता पलटने वाली ताकतों के खिलाफ हम कार्रवाई करेंगे।