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Monday, December 23, 2024

बिहार विधानसभा के चुनाव में मनमाने तरीके से खर्च और फर्जीवाड़ा किए जाने का सनसनीखेज मामला उजागर

बिहार विधानसभा के चुनाव में मनमाने तरीके से खर्च और फर्जीवाड़ा किए जाने का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। मामला तब पकड़ में आया जब लोकसभा चुनाव की तुलना में कई गुना ज्यादा राशि का बिल एजेंसियों ने दे दिया। इस मामले की जांच शुरू हो गई है।

शुरुआती जांच में पता चला कि अर्द्धसैनिक बल के जवान जिस जगह पर ठहरे नहीं हैं, वहां भी टेंट पंडाल लगाने का बिल दे दिया है। इतना ही नहीं दस दोपहिया वाहनों का नंबर बस का बताकर बिल दिया गया है। मामला पकड़ में आने के बाद डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बिल के सत्यापन करने का आदेश दिया है। बिहार विधानसभा के चुनाव के लिए पटना जिले में 7346 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इसके लिए अर्द्धसैनिक बलों की 215 कंपनियां आई थीं। इन्हें ठहराने के लिए 400 जगह चिह्नित किए गए थे। यहां हुए खर्च के लिए एजेंसियों ने 42 करोड़ रुपये का बिल दे दिया था। बाद में सत्यापन कमेटी ने इसे घटाकर 31 करोड़ 40 लाख कर दिया। हालांकि, तब भी डीएम ने पाया कि लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार दस गुना ज्यादा खर्च हुए हैं। इसके बाद डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने पुन: अधिकारियों को निर्देश दिया कि मामले की अपने स्तर से जांच करें। 

सत्यापन करने वाली कमेटी भी संदेह के घेरे में
इस बिल पर पहले तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार रवि ने संदेह जताया। उन्होंने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें तत्कालीन अपर समाहर्ता राजस्व राजीव कुमार श्रीवास्तव, डीआरडीए के निदेशक अनिल कुमार, जिला भविष्य निधि पदाधिकारी और अवर निर्वाचन पदाधिकारी मसौढ़ी राजू कुमार शामिल थे। कमेटी ने खर्च का आंकलन 31 करोड़ 40 लाख करते हुए भुगतान के लिए जिलाधिकारी को  अनुशंसा कर दी थी। 

लोकसभा चुनाव में खर्च हुए थे दो करोड़ 30 लाख
2014 में लोकसभा चुनाव के समय पटना जिले में 60 अर्द्धसैनिक बलों की कंपनियां आई थीं। अर्द्धसैनिक बल के जवानों पर उस समय दो करोड़ 30 लाख रुपये का खर्च आया था, जबकि 2020 में 215 कंपनियों पर खर्च का आकलन 42 करोड़ दिखाया गया। 

टेंट पंडाल की कीमत से अधिक है किराया
पटना जिले में बिहार विधानसभा चुनाव के समय अर्द्धसैनिक बलों को ठहरने के लिए जिन जगहों पर टेंट पंडाल लगाने के लिए खर्च का ब्यौरा दिया गया है, वह उसकी मूल कीमत से भी ज्यादा है। अधिकारियों का कहना है कि जिन स्थानों पर टेंट पंडाल लगाने के लिए खर्च का विवरण दिया गया है, यदि उन स्थलों के लिए सरकार या प्रशासन द्वारा टेंट पंडाल खरीदा जाता तो लगभग एक करोड़ में हो जाता, लेकिन पंडाल का किराया उसकी कीमत से अधिक दिखाया गया है। 

चुनाव में 6 जिलों में सबसे अधिक खर्च
बिहार विधानसभा चुनाव प्रदेश के 6 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे अधिक खर्च दिखाया गया है। इनमें गया, बांका, पूर्वी चंपारण, कैमूर, सीतामढ़ी और दरभंगा शामिल हैं। खर्च के मामले में पटना जिले का स्थान दसवें नंबर पर है। जानकारों का कहना है कि जिन एजेंसियों को पटना जिले में तीन पंडाल लगाने के लिए चयनित किया गया था, उनमें से एक एजेंसी प्रदेश के दो अन्य जिले में भी काम की है। इसीलिए इन जिले में भी फर्जीवाड़े की आशंका है। हालांकि यह मामला निर्वाचन आयोग के संज्ञान में आ गया है।

इन एजेंसियों के खिलाफ हो रही है जांच
डीएम के निर्देश पर जिन एजेंसियों के खिलाफ जांच हो रही है, उनमें पटना जिले के सिन्हा डेकोरेशन सामियाना घर और महावीर डेकोरेशन शामिल हैं। अर्द्धसैनिक बल को रखने और उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी अर्द्धसैनिक बल कोषांग की थी। इसके लिए नजारत उप समाहर्ता राजेश कुमार और सार्जेंट मेजर को जिम्मेदारी दी गई थी। इन दोनों अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे है।

किराए पर लिए गए बस का नंबर निकला बाइक का
चुनाव के लिए अधिग्रहित किए गए वाहनों के तेल में खर्च का खेल ऐसा हुआ कि ऑडिट करने आई टीम ने पकड़ लिया। दरअसल ऑडिट टीम ने वाहन कोषांग द्वारा दिए गए वाहनों की सूची के आधार पर जब अपने स्तर से छानबीन की तो पता चला कि एक दो पहिया वाहन में सैकड़ों लीटर डीजल कैसे खर्च हो गया। छानबीन में पता चला कि कोषांग द्वारा जिस वाहन का खर्च का ब्यौरा दिया गया है, वह बस की बजाय दो पहिया है। ऐसे 10 वाहनों के खर्च के ब्यौरे में गड़बड़ी पकड़ी गई है। इसकी भी जांच चल रही है।

गड़बड़ी की आशंका से सतर्क हो गए थे पूर्व डीएम
बिहार विधानसभा चुनाव में खर्च का ब्यौरा देख दिसंबर 2020 में तत्कालीन डीएम कुमार रवि आश्चर्यचकित हो गए थे तथा उन्होंने गड़बड़ी के अंदेशा को देखते हुए एक जांच कमेटी गठित कर दी थी। अपने आदेश में उन्होंने कहा था कि किसी भी बिल पत्र का बगैर भौतिक सत्यापन कराए भुगतान नहीं होना चाहिए। हालांकि पूर्व जिलाधिकारी के आदेशों की जांच कमेटी ने सही तरीके से अनुपालन नहीं किया। इसीलिए एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत बिल को बगैर भौतिक सत्यापन कराए भुगतान के लिए अनुशंसा कर दी गई। 

अधिक बिल देखकर मुझे आशंका हो गई। इसीलिए मैंने भुगतान से पहले भौतिक सत्यापन करने का निर्देश दिया है। यदि गड़बड़ी उजागर होती है तो संबंधित लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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