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Monday, August 4, 2025

बंगाल फतह करने के लिए रणनीति बना रही, बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाने की अपील

पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) बड़े ही आक्रामक ढंग से यह चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार बंगाल दौरा कर रहे हैं और बंगाल फतह करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। बीजेपी के इस मिशन पर पानी फेरने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने तमाम विपक्षी दलों से साथ देने की अपील की है। यूं कहें तो पार्टी ने बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाने की अपील की। कांग्रेस पार्टी ने लगे हाथ टीएमसी को नसीहत दे दी।

तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ”सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति” के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की है। हालांकि, दोनों दलों ने इस सलाह को सिर से खारिज कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर ले।

राज्य में मजबूती से ऊभर रही भाजपा का कहना है कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा, ”अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही ”भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं। तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया।

उन्होंने कहा, ”हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।”

आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी।

माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि तृणमूल कांग्रेस वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ”यह दिखाता है कि वह (वाम मोर्चा) अभी भी महत्वपूर्ण हैं। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों को हराएंगे।”

पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ”वे हमसे अकेले नहीं लड़ सकते हैं, इसलिए वे अन्य दलों से मदद मांग रहे हैं। इससे साबित होता है कि भाजपा ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है।”

लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। माकपा नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं। वहीं दूसरी ओर भाजपा को 18 सीटें मिली थी जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं।

राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं जबि तृणमूल कांग्रेस के 211 सीटें मिली थीं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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